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यूपी: ई-रिक्शा की बिक्री हुई आधी, ई-ऑटो की सात गुना बढ़ी…

कानपुर में नेशनल हाईवे और कई प्रमुख चौराहों पर प्रतिबंध का ई-रिक्शा की बिक्री पर तगड़ा असर पड़ा है। इस साल के तीन माह में जहां, 5500 ई-रिक्शा पंजीकृत हुए हैं, वहीं ई-ऑटो की संख्या 11 हजार है। इसकी वजह से ई-रिक्शा निर्माताओं से लेकर विक्रेता और फाइनेंसर तक ताला बंदी की कगार पर पहुंच गए हैं।

क्षेत्रीय परिवहन कार्यालय की ओर से जारी आंकड़ों के अनुसार साल 2023 में जनवरी से अक्तूबर के बीच हर महीने औसतन चार सौ से साढ़े पांच सौ ई-रिक्शा पंजीकृत हुए। हालांकि नवंबर में जब ट्रैफिक पुलिस ने जीटी रोड समेत सभी नेशनल हाईवे पर संचालन पर रोक लगाई, तो उसका सीधा असर ई-रिक्शा की बिक्री पर आ गया।


हालत यह हो गई दिसंबर महीने से ही बिक्री गिरकर आधी हो गई। वहीं, हर महीने सात सौ से आठ सौ तक सीमित रहने वाले ई-ऑटो का आंकड़ा 1200 तक पहुंच गया है। जनवरी से मार्च 2024 के बीच 502 ई-रिक्शा खरीदे गए, जबकि 3500 ई-ऑटो बिके। इससे पहले 2023 में पूरे साल में कुल 5358 ई-रिक्शा और 11915 ई-ऑटो पंजीकृत हुए थे।

रिकवरी के लिए चालकों व मालिकों से मिन्नतें
गिरते ई-रिक्शा की बिक्री और सख्ती के बीच अब शहर के एक दर्जन फाइनेंसरों ने नए ई-रिक्शा के लिए फाइनेंस करना बंद कर दिया है। साथ ही उन्होंने पहले तो किस्त न भरने पर कुछ ई-रिक्शा जब्त किए, लेकिन अब उनके पास भी ई-रिक्शा खड़े करने की जगह नहीं है। इसलिए अब उन्होंने रिकवरी के लिए चालकों व मालिकों से मिन्नतें करना शुरू कर दिया है।

ई-रिक्शा छोड़ ई-ऑटो खरीद रहे लोग
ई-रिक्शा फाइनेंसर सिमरन सलूजा कहते हैं कि लोग किस्ते न निकल पाने का हवाला देकर ई-रिक्शा लौटा रहे हैं। फाइनेंसर भी कितने ई-रिक्शा को वापस ले सकता है। कहा कि किसी ने बैंक ओवर ड्राफ्ट, तो किसी ने फिक्स डिपॉजिट पर लोन लेकर फाइनेंस का काम शुरू किया था। वर्तमान में फाइनेंसरों के पास ई-रिक्शा खड़ा करने की जगह तक नहीं है। ऐसे में अब ब्याज के बजाय प्रयास किया जा रहा है कि जैसे तैसे मूलधन ही वापस मिल जाए।

तो क्या ई-ऑटो को भी प्रतिबंधित करेगा प्रशासन
ट्रैफिक पुलिस व आरटीओ की एकतरफा कार्रवाई की वजह से ई-रिक्शा सेक्टर की हालत खस्ता हो गई है। लोग ई-रिक्शा तो नहीं खरीद रहे, न ही प्रतिबंधित रूटों पर ई-रिक्शा का संचालन हो रहा है। फिर भी उन रूटों पर जाम की स्थिति फिर से उत्पन्न हो रही है, क्योंकि लोग ई-रिक्शा छोड़कर ई-ऑटो उन्हीं प्रतिबंधित रूटों पर दौड़ा रहे हैं। क्या प्रशासन ई-ऑटो पर भी प्रतिबंध लगाएगा। -विकास श्रीवास्तव, अध्यक्ष ई-रिक्शा वेलफेयर एसोसिएशन

गलत फैसले ने कमर तोड़ दी
ई-रिक्शा को लेकर प्रशासन का एकतरफा फैसले से हालत खराब है। ट्रैफिक पुलिस व आरटीओ अगर चाहती तो बिना पंजीकरण व फिटनेस के बिना दौड़ रहे ई-रिक्शा को जब्त करती। सख्ती कर यह सुनिश्चित करती कि ई-रिक्शा को नाबालिग या आपराधिक प्रवृत्ति के लोग न चलाएं और नियमों का पालन हर हार में हो लेकिन ऐसा नहीं किया गया। उल्टा प्रतिबंध लगा दिया। -हरमीत सिंह सलूजा, अध्यक्ष कानपुर ऑटोमोबाइल हायर पर्चेज एसोसिएशन

ई-ऑटो को बढ़ावा देने की साजिश
प्रदूषण मुक्त वाहनों को सरकार बढ़ावा दे रही है, लेकिन कानपुर में लिए जा रहे फैसलों से ई-रिक्शा टार्गेट हो रहा है और ई-ऑटो को लाभ मिलता दिख रहा है। जिन लोगों ने बड़ी-बड़ी उत्पादन इकाइयां स्थापित कर ली थी, वह अब क्या करें। ई-रिक्शा संचालन से चालक, मालिक के अलावा फाइनेंसर और उसके कर्मचारी, उत्पादक और उसके कर्मी तक रोजगार पाते हैं लेकिन अब स्थिति यह है कि हर क्षेत्र में लोगों के रोजगार जा रहे हैं। -दीप गुप्ता, ई-रिक्शा निर्माता

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