वो शख्स, जिसकी वजह से पूरी दुनिया करने लगी भगवान कृष्ण की पूजा
जब प्रभुपाद अमेरिका गए थे तब वो 70 साल के हो चुके थे. वहां उन्हें कोई नहीं जानता था लेकिन अगले एक -डेढ़ दशक में पूरी दुनिया इस्कॉन को जान गई
देश में घूमते समय या कहीं बाजार में या रेलवे स्टेशन ओर बहुत बार भगवा धारण किये हुए कुछ विदेशी लोग आपको “हरे रामा हरे कृष्णा” जपते हुए मिल जाएंगे. कौन होते हैं ये लोग और इन्हें भगवान् कृष्ण से क्या लेना देना? ज़्यादातर अंग्रेज़, अमेरिकी या युरोपियन देशों के लोग स्वामी प्रभुपाद की वजह से कृष्ण भक्ति की ओर आकर्षित हुए. स्वामी प्रभुपाद यानि अभय चरणावृंद भक्तिवेदांत स्वामी प्रभुपाद. इनकी आज पुण्यतिथि है.
इस्कॉन क्या है?
स्वामी प्रभुपाद विश्व में दो चीज़ों के लिए प्रसिद्द हैं. एक कृष्ण भक्ति के लिए और दूसरा कृष्ण भक्ति को दुनिया के कोनों कोनों तक पहुंचाने के लिए. इस्कॉन संस्था यानि इंटरनेशनल सोसाइटी फॉर कृष्ण कांशसनेस यही काम करती है और इसे स्वामी प्रभुपाद ने ही 1966 में अमेरिका के न्यू यॉर्क शहर में शुरू किया था.
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केवल 52 साल पुरानी इस संस्था के दुनिया भर में आज 850 से ज़्यादा मंदिर और 150 से ज़्यादा स्कूल और रेस्टोरेंट हैं. यह सभी कृष्ण की भक्ति पर ही आधारित हैं. जैसा की इस्कॉन का नाम भी सुझाता है, वे केवल कृष्ण का प्रचार प्रसार करते हैं.
स्वामी प्रभुपाद कौन हैं?
भक्ति वेदांत स्वामी प्रभुपाद का जन्म 1896 में कोलकाता में बिजनेसमैन के घर हुआ था. उनके पिता ने अपने बेटे अभय चरण का पालन पोषण ही एक कृष्ण भक्त के रूप में किया जिससे उनकी श्रद्धा कृष्ण में बढ़ती ही चली गई. प्रभुपाद ने 26 साल की उम्र में अपने गुरु सरस्वती गोस्वामी से मुलाक़ात की और 37 की उम्र में उनके विधिवत दीक्षा प्राप्त शिष्य बन कर पूरी तरह कृष्ण भक्ति में लीन हो गए.