यह पंडित नेहरू के कारण संभव हुआ कि ‘चायवाला’ भारत का प्रधानमंत्री बन सका: शशि थरूर
पंडित जवाहरलाल नेहरू से एक अमेरिकी संपादक नॉर्मन कजिंस ने जब ये पूछा कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री के रूप में वह अपनी कौन सी विरासत छोड़कर जाएंगे तो उन्होंने जवाब दिया कि 33 करोड़ लोग अपना खुद का शासन करने में सक्षम होंगे. औपनिवेशिक दौर के बाद के देशों में कई हीरो इसके उलट दिशा में गए. उन्होंने लोकतांत्रिक ढंग से चुने गए हीरो के रूप में सफर शुरू किया लेकिन बाद में जहां एकाधिकारवादी दिशा में आगे बढ़े लेकिन नेहरू इस जाल में कभी नहीं पड़े.
पंडित नेहरू की 129वीं जयंती की पूर्व संध्या पर कांग्रेस सांसद शशि थरूर की पुस्तक “नेहरू: द इन्वेंशन ऑफ इंडिया’ का पुनर्विमोचन हुआ. इस अवसर पर थरूर ने अपनी किताब के इस किस्से को शेयर किया. तिरुअनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने इस मौके पर कहा कि लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत किया और हमेशा रचनात्मक आलोचना को प्रोत्साहित किया. इसी कड़ी में उन्होंने कहा, ”इस कारण यदि आज एक चायवाला देश का प्रधानमंत्री बना है तो ऐसा इसलिए संभव हो सका क्योंकि पंडित नेहरू ने ऐसी संस्थागत संरचनाओं का निर्माण किया जिनके कारण कोई भी भारतीय देश के सर्वोच्च पद तक पहुंच सकता है.”
इसके साथ ही थरूर ने कहा कि नेहरू ने हमेशा इस विचार को आगे रखा कि देश किसी व्यक्ति से महत्वपूर्ण है और संस्थाओं का सम्मान होना चाहिए. उन्होंने कहा कि आज अगर देश में लोकतंत्र कायम है तो उसमें देश के पहले प्रधानमंत्री का सबसे अहम योगदान है.
नेहरू की आलोचना करने वालों को आड़े हाथ लेते हुए थरूर ने कहा कि नेहरू ने देश को आईआईटी, आईआईएम, इसरो, डीआरडीओ और कई अहम संस्थान दिए और देश के विकास की मजबूत बुनियाद डाली. लोगों को आजादी के समय के भारत की स्थिति के बारे में जानना चाहिए, उसके बाद उन्हें पता चलेगा कि नेहरू ने भारत को किस तरह से विकास के पथ पर आगे बढ़ाया.
नेहरू की विरासत को कमतर करने का प्रयास हो रहा: सोनिया
इस मौके पर कांग्रेस की शीर्ष नेता सोनिया गांधी ने नरेंद्र मोदी सरकार पर परोक्ष हमला बोला और आरोप लगाया कि मौजूदा समय में सरकार में बैठे लोगों द्वारा नेहरू की लोकतांत्रिक मूल्यों के सम्मान वाली विरासत को कमतर करने का प्रयास किया जा रहा है. आधुनिक भारत के निर्माण में देश के प्रथम प्रधानमंत्री के योगदान को याद करते हुए सोनिया ने यह भी कहा कि नेहरू ने जिन लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाया, आज उनको चुनौती दी जा रही है.
सोनिया ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के तौर पर पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लोकतंत्र को मजबूत किया और भारत की राजनीतिक व्यवस्था को समृद्ध बनाने का भी काम किया. आज हम इन्हीं मूल्यों पर गर्व करते हैं.’’
उन्होंने कहा, ‘‘नेहरूवाद के मुख्य स्तंभों के तौर पर शशि थरूर (कांग्रेस सांसद) ने कुछ मूल्यों का उल्लेख किया है. वो मूल्य हैं- लोकतांत्रिक संस्थाओं का निर्माण, भारतीय धर्मनिरपेक्षता, समाजवादी आर्थिक व्यवस्था, गुटनिरपेक्षता की विदेश नीति. ये मूल्य भारतीयता के दृष्टिकोण का अभिन्न हिस्सा हैं और आज इन्हीं मूल्यों को चुनौती दी जा रही है.’’
कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष ने नेहरू के आर्थिक मॉडल और गुटनिरपेक्षता केंद्रित विदेश नीति को भी याद किया और कहा कि उन्होंने जिन लोकतांत्रिक मूल्यों को आगे बढ़ाया था आज उससे जुड़ी विरासत को कमतर करने का प्रयास हो रहा है. उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने लोकतंत्र की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्धता के साथ उन लोगों से लड़ना होगा जो (नेहरू की विरासत को) कमतर करने की कोशिश कर रहे हैं.’’ सोनिया ने कहा कि नेहरू ने देश की सभी लोकतांत्रिक संस्थाओं के प्रति सम्मान और उनको मजबूत बनाने की संस्कृति पैदा की जिससे लोकतंत्र मजबूत हुआ.