छठव्रतियों ने उदीयमान सूर्य को दिया अर्घ्य, 36 घंटे का अनुष्ठान पूरा
लोक अस्था का पर्व बुधवार को सुबह के अर्घ्य के साथ संपन्न हो गया। चौथे दिन बुधवार को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया गया। पर्व को लेकर पूरे बिहार में भक्ति व उत्साह चरम रहा। छठ को लेकर नदियों व तालाबों के घाट सजे-धजे रहे तो श्रद्धालुओं के आवागमन के लिए सड़कें भी साफ-सुथरी दिखीं।
यह पर्व बिहार ही नहीं, देश-विदेश में उन सभी जगहों पर भी मनाया गया, जहां बिहार की संस्कृति पहुंची है। महापर्व के अंतिम दिन सुबह के अर्घ्य के लिए घाटों पर जन-सैलाब उमड़ता दिखा। इसके पहले मंगलवार को छठ के सायंकालीन अर्घ्य के दारान भी ऐसा ही नजारा थामंगलवार को सांघ्यकालीन अर्घ्य के बाद व्रती व श्रद्धालु घर लौट गए। हालांकि, बड़ी संख्या में व्रती छठ घाटों पर भी रुक गए। वे प्रात:कालीन अर्घ्य देने के बाद सुबह में वापस लौटे।
पटना की बात करें तो सायंकाल प्रथम अर्घ्य का समय 4.30 बजे से 5.20 मिनट के बीच था। बुधवार सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य देने का समय प्रात: 6.32 से 7.15 बजे तक का था।
छठ के लिए तैयार किए गए थे नदी-तालाब
सूर्य की अाराधना के महापर्व छठ के अर्घ्य के लिए पूरा बिहार पहले से ही तैयार था। पटना सहित सभी जगह प्रशासनिक व्यस्था भी कर ली गई थी। पटना में गंगा घाट सहित 41 से अधिक तालाब व्रतियों के लिए तैयार किए गए। बिहार के विभिन्न क्षेत्रों में अन्य नदियों व तालाबों में भी छठ पूजा के अर्घ्य की व्यवस्था की गई।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
पूरे राज्य में घाटों पर बैरिकेडिंग कर सुरक्षा की व्यवस्था की गई। छठ के दौरान खगड़िया के मुजौना शिव मंदिर पोखर घाट पर एक किशोर निर्दोष कुमार की डूबने से मौत हो गई। बुधवार को भी बेगूसराय में एक युवक की गंडक नदी में डूबकर तो दूसरे की छठ का डाला लेकर जाते समय करंट लगने से मौत हो गई। हालांकि, पुलिस व एनडीआरएफ-एसडीआरएफ की सतर्कता के कारण कई दुर्घटनाएं नहीं हुईं।
अनहोनी को रोकने के लिए जगह-जगह नौकाओं के साथ एनडीआरएफ व एसडीआरएफ की टीमें बुधवार सुबह तक तैनात की गईं थीं। सड़कों से लेकर घाटों तक दंडाधिकारी व पुलिसकर्मी तैनात रहे।
छठ के दौरान मंगलवार को पटना में घाटों का निरीक्षण मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किया। उन्होंने पूजा व सुरक्षा की व्यवस्था को देखा। मुख्यमंत्री के साथ मंत्री नंद किशोर यादव और जदयू उपाध्यक्ष प्रशांत किशोर भी थे। इसके बाद उन्होंने लोगाें को छठ की शुभकामनाएं दीं तथा छठ के आत्मानुशासन को जीवन में अपनाने पर बल दिया।
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए पब्लिक एड्रेस सिस्टम की व्यवस्था की गई। विभिन्न घाटों पर एंबुलेस के साथ डॉक्टर जीवन रक्षक दवाओं के साथ तैनात रहे। पूरे राज्य के सभी प्रमुख सरकारी व निजी अस्पतालों में विशेष एहतियाती व्यवस्था की गई।
अकेला पर्व, जिसमें होती डूबते सूर्य की पूजा
छठ पर्व अकेला ऐसा पर्व है, जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। यह पर्व कहता है कि फिर सुबह होगी और नया दिन आएगा। अस्त होते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद अगली सुबह उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य
पानी में खड़े होकर दिया जाता है। प्रथम अर्घ्य और द्वितीय अर्घ्य के बीच का समय तप का होता है। यह समय प्रकृति को प्रसन्न करने का तथा उससे वर प्राप्त करने का माना जाता है।