कैसरगंज में बृजभूषण की विरासत संभालेंगे करण भूषण
कैसरगंज व गोंडा लोकसभा सीट पर इस बार दो बड़े सियासी घरानों की नई पीढि़यों की परीक्षा थी। कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र से हैट्रिक लगाने वाले मंडल के कद्दावर नेता बृजभूषण शरण सिंह की जगह अब उनके बेटे करण भूषण सिंह कैसरगंंज की विरासत संभालेंगे। वहीं, पूर्व केंद्रीय मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा की तीसरी पीढ़ी की श्रेया वर्मा को पहले चुनाव में हार का सामना करना पड़ा।
कैसरगंज लोकसभा सीट पर पिछले 28 साल से दो ही राजनीतिक घरानों का दबदबा कायम रहा है। वर्ष 1996 से 2004 तक बेनी प्रसाद वर्मा लगातार चार बार यहां से सांसद रहे। इसके बाद वर्ष 2009 से 2024 तक बृजभूषण शरण सिंह यहां से सांसद रहे। लेकिन वर्ष 2024 में इन दोनों घराने ने पहली बार अपनी अगली पीढ़ी को चुनाव मैदान में उतारकर राजनीतिक विरासत आगे बढ़ाने का प्रयास किया। बृजभूषण शरण सिंह के बेटे करण भूषण सिंह पहली बार सियासी पारी शुरू करते हुए कैसरगंज लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और वह विजयी भी हुए। लेकिन बेनी प्रसाद वर्मा के बेटे व पूर्व मंत्री राकेश वर्मा की बेटी श्रेया वर्मा गोंडा लोकसभा सीट से अपने जीवन का पहला चुनाव हार गईं। उन्हें भाजपा के कीर्तिवर्धन सिंह ने शिकस्त दी।
इस तरह बृजभूषण अपनी अगली पीढ़ी को राजनीतिक विरासत सौंपने में सफल हो गए। जबकि वर्ष 2009 में गोंडा लोकसभा सीट से भी बेनी प्रसाद वर्मा सांसद रह चुके हैं। अब दिवंगत बेनी प्रसाद वर्मा की तीसरी पीढ़ी को अगले चुनाव का इंतजार करना पड़ेगा।
चुनाव परिणाम आने के पहले गोंडा व कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में जातीय समीकरण हावी रहने का कयास लगाए जा रहे थे, लेकिन भाजपा के विकास के मुद्दे के सामने जातीय दीवारें दरक गईं। गोंडा लोकसभा क्षेत्र में कुर्मी मतदाताओं की संख्या बहुतायत होने के कारण कयास लगाया जा रहा था कि सजातीय वोट पाकर श्रेया वर्मा की चुनाव में जीत होगी। मगर चुनाव परिणाम उनके साथ नहीं रहे। इसी तरह कैसरगंज में भी ब्राह्मण प्रत्याशी भगतराम मिश्र को सजातीय वोटों की बदौलत पहली बार संसद में पहुंचने का भरोसा था। लेकिन दोनों सीटों पर जातीय फार्मूला फेल रहा और भाजपा के दोनों प्रत्याशी विजयी रहे।