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‘एनिमेशन फिल्मों के जरिए बौद्धिक संपदा का निर्माण’ विषय पर एमआईएफएफ पैनल चर्चा में विशेषज्ञों ने कहा कि भारत के रचनाकारों को अपने बौद्धिक संपदा अधिकारों के बारे में जागरूक होने और अपने उत्पादों को पंजीकृत करने की आवश्यकता है

भारत में, रचनाकारों को अपने रचनात्मक उत्पादों को पंजीकृत कराने और उस पर अधिकार अर्जित करने के महत्व को समझने की आवश्यकता है। मनोरंजन क्षेत्र की कानूनी विशेषज्ञ अनामिका झा ने कहा कि किसी रचनात्मक उत्पाद का स्वामी या लेखक होने से, किसी व्यक्ति को उल्लंघन के खिलाफ कानूनी सुरक्षा मिल सकती है। हाल के समय में भारत के बेहद लोकप्रिय एनिमेशन पात्र – ‘छोटा भीम’ के निर्माता राजीव चिलका भी इससे बिल्कुल सहमत हैं! जबकि तमिल भाषा की विज्ञान पर आधारित फिल्म ‘अयलान’ के वीएफएक्स सुपरवाइजर बेजॉय अर्पुथराज ने आग्रह किया कि रचनाकारों को विचार की उत्पत्ति के दिन से ही अपने उत्पादों को पंजीकृत करा लेना चाहिए। ये विचार आज मुंबई में मुंबई इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल- 2024 के मौके पर ‘अनवीलिंग द एनिमेशन फ्रंटियर: बिल्डिंग इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टीज थ्रू एनिमेशन फिल्म्स – केस स्टडी: अयलान एंड छोटा भीम’ विषय पर आयोजित एक पैनल चर्चा के दौरान सामने रखे गए। फिक्की में एवीजीसी फोरम के अध्यक्ष आशीष कुलकर्णी ने मनोरंजन उद्योग के इस महत्वपूर्ण, हालांकि अक्सर उपेक्षित पक्ष पर चर्चा का संचालन किया। पैनल में यूनाइटेड किंगडम स्थित फिल्म समीक्षक नमन रामचंद्रन भी थे, जिन्होंने भारत और अन्य जगहों पर एनिमेशन बाजार के विकास के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार रखे।

ग्रीन गोल्ड एनिमेशन प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ राजीव चिलका, जिनके स्टूडियो से ‘छोटा भीम’ की शुरुआत हुई, ने दर्शकों को बच्चों के इस लोकप्रिय पात्र की विकास यात्रा से अवगत कराया। इस पात्र ने इस साल अप्रैल में 16 साल पूरे कर लिए हैं और अभी भी बेहद लोकप्रिय है। राजीव चिलका ने कहा कि इस पात्र के छह स्पिन-ऑफ हो चुके हैं और छोटा भीम से जुड़े उत्पाद पूरे देश में बहुत अच्छी तरह से बिक रहे हैं। उन्होंने बताया, “मैंने शुरुआत में ही इस पात्र को पंजीकृत करा लिया था।” उन्होंने खुलासा किया कि अमेज़ॅन द्वारा छोटा भीम के सभी संस्करण खरीद लेने के बाद, उनकी कंपनी ने नेटफ्लिक्स के लिए ‘शक्तिशाली छोटा भीम’ (माइटी लिटिल भीम) बनाया, जहां इस सीरीज ने चार सीजन में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है।

फैंटम एफएक्स के निदेशक बेजॉय अर्पुथराज ने बताया, “अयलान नाम के पात्र के बौद्धिक संपदा का स्वामी बनने की हमारी चाहत के पीछे एक बड़ा कारण यह था कि हमें लगा कि यह विपणन योग्य है और इसका फायदा मिलेगा।” उन्होंने भी इस पर काम शुरू करने से पहले बौद्धिक संपदा अधिकार हासिल कर लिया था। अब जबकि ‘अयलान’ का तेलुगु संस्करण पहले ही आ चुका है, निर्माता इसे हिंदी और अन्य भाषाओं में भी रिलीज करने की योजना बना रहे हैं। श्री अर्पुथराज ने खुलासा किया कि जब इस फिल्म की योजना बनाई जा रही थी, तो निर्माताओं को यकीन नहीं था कि यह चलेगी या नहीं। लेकिन श्री अर्पुथराज और उनकी टीम इसे क्रियान्वित करने के लिए उत्सुक थी क्योंकि यह फिल्म भारतीय एनिमेशन निर्माण बाजार के कई मिथकों को तोड़ देगी और भारतीय वीएफएक्स एवं एनिमेशन कलाकारों के लिए एक मिसाल बनेगी। उन्होंने कहा, “अब हम अयलान पर एक कार्टून श्रृंखला बनाने की योजना बना रहे हैं और आगे की श्रृंखला में लोगों को अयलान या एलियन के ग्रह पर ले जाने के विचार पर भी काम कर रहे हैं।”

फिल्म समीक्षक नमन रामचंद्रन ने कहा, लोग कोविड के बाद की दुनिया में अधिक स्थानीय मनोरंजन उत्पाद चाहते हैं। अपनी बात को समझाते हुए, उन्होंने कहा कि उदाहरण के तौर पर एक भारतीय जहां नारकोस देखना पसंद करेगा, वहीं एक मैक्सिकन मिर्ज़ापुर देखना चाहेगा, । इस संदर्भ में, उनका मानना ​​है कि भारतीय एनीमेशन पात्रों की परिकल्पना भारत के समृद्ध इतिहास से ली जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत एक बड़ा बाजार है और निर्माताओं को कंटेंट के लिए विदेशों की ओर देखने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि विचारों की जड़ें स्थानीय स्तर पर गहरी होनी चाहिए। राजीव चिलका ने भी बताया कि, प्रसारक भारतीयकृत कंटेंट की खोज में थे और इस तरह ‘छोटा भीम’ का जन्म हुआ। वर्ष 2008 में यह पहली बार प्रसारित हुआ और तुरंत हिट हो गया।

‘रचनाकारों की वकील’ के नाम से प्रसिद्ध कानूनी विशेषज्ञ अनामिका झा ने परिचर्चा में भाग लेने वाले नवोदित रचनाकारों को यह कहकर सावधान किया कि “’यदि आप किसी पात्र में अपना  और आत्मा लगाते हैं, तो आपको उसके बौद्धिक संपदा अधिकारों का स्वामी होना ही चाहिए।” श्री आशीष कुलकर्णी ने दोहराया कि भारत में कई रचनाकारों और कलात्मक लोगों को अपने रचनात्मक उत्पादों के कॉपीराइट के बारे में जागरूक होने की आवश्यकता है।

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