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भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध से पहले की थी सूर्य देव की पूजा, जानें

सनातन शास्त्रों में सूर्य देव (Surya Dev) की पूजा-अर्चना का विशेष महत्व बताया गया है। रविवार का दिन सूर्य देव को समर्पित है। इस दिन जातक सूर्य देव की विधिपूर्वक उपासना करते हैं। साथ ही श्रद्धा अनुसार अन्न, धन और वस्त्र का दान करते हैं। धार्मिक मान्यता है कि इन कार्यों को करने से जातक को मनचाहा करियर प्राप्त होता है और सभी कार्यों में सफलता मिलती है। वेद-पुराणों और महाकाव्यों में सूर्य देव की उपासना (Surya Dev Puja Significance) का विशेष वर्णन देखने को मिलता है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम और जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने सूर्य उपासना के महत्व के बारे में बताया है। आइए इस लेख में जानते हैं कि सूर्य देव की पूजा के महत्व के बारे में।

भगवान श्रीराम ने की थी सूर्य देव की पूजा

रावण शक्तिशाली राक्षस राजा था। उसने माता सीता का अपहरण किया था, जिसके लिए भगवान श्रीराम ने रावण से युद्ध किया। युद्ध को करने से पहले राम जी ने आदित्य हृदय स्तोत्र के द्वारा सूर्य देव की विशेष पूजा-अर्चना की। युद्ध के समय भगवान श्रीराम विचार कर रहे थे कि रावण से किस तरह से युद्ध में विजय प्राप्त कर सकते हैं। ऐसी स्थिति में महर्षि अगस्त्य ने प्रभु राम को आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने के लिए कहा। साथ ही उन्होंने सूर्य देव की पूजा से प्राप्त होने वाले शुभ फल के बारे में भी बताया। महर्षि अगस्त्य ने बताया कि आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करने से जातक को सभी तरह के दुख और संकट से छुटकारा मिलता है।

श्रीकृष्ण ने पुत्र सांब को बताया सूर्य देव की पूजा का महत्व

भविष्य पुराण में भगवान श्रीकृष्ण और सांब का संवाद देखने को मिलता है। श्रीकृष्ण के पुत्र सांब थे। श्रीकृष्ण ने अपने पुत्र को सूर्य देव की पूजा के महत्व के बारे में बताया। श्रीकृष्ण के अनुसार, सूर्य देव एक ऐसे देवता हैं, जिन्हें हर दिन सीधे देखा जा सकता है। जो जातक विधिपूर्वक सूर्य देव की पूजा करता है। उसकी सभी मुरादें पूरी होती हैं।यदादित्यगतं तेजो जगद्भासयते ऽखिलम् ।यच्चन्द्रमसि यच्चानौ तत्तेजो विद्धि मामकम्।।भगवान श्रीकृष्ण ने भगवत गीता में कहा है कि जो सूर्य देव में प्रकाश दिखाई देता है, वो जगत को प्रकाशित करने का काम करता है। अग्नि में जो तेज है वो भी मैं हूं। सूर्य जगत के पालक हैं।

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