श्रीलंका की संसद में जमकर हुआ हंगामा
एक-दूसरे पर हमला करने वाले इन लोगों की वेशभूषा देखकर आपमें से ज़्यादातर दर्शकों को यही लगा होगा, कि ये Video या तो कर्नाटक विधानसभा का है, या फिर तमिलनाडु और केरल की विधानसभा का है. लेकिन, सच्चाई ये है, कि ये हमारे पड़ोसी देश श्रीलंका की संसद की तस्वीरें हैं. जहां आज ना सिर्फ लात-घूंसे चले.. बल्कि कुर्सियां फेंकी गईं.. और वहां के सांसदों ने एक दूसरे की आंखों में लाल मिर्च का Powder भी फेंका. ये नौबत इसलिए आई है, क्योंकि श्रीलंका में राजनीतिक भूकंप आया हुआ है. श्रीलंका में इस वक़्त जो कुछ भी हो रहा है वो ‘House Of Cards, ‘Game Of Thrones’ जैसी Web Series और शेक्सपियर के डरावने नाटकों के बीच कहीं पर भी फ़िट हो सकता है. इस कहानी में कई Twist और Turn हैं. सबसे पहले ये समझिए की ये पूरा मामला क्या है ?
इस राजनीतिक फिल्म के तीन मुख्य किरदार हैं. पहले का नाम है, रानिल विक्रमासिंघे. जो तीन हफ्ते पहले तक श्रीलंका के प्रधानमंत्री हुआ करते थे. दूसरे किरदार का नाम है, महिंदा राजपक्षे. जो श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति हैं. और तीसरे किरदार का नाम है, मैत्रीपाला सिरिसेना. जो इस वक्त श्रीलंका के राष्ट्रपति हैं. रानिल विक्रमासिंघे और मैत्रीपाला सिरिसेना विपरीत विचारधारा के लोग हैं.
लेकिन, वर्ष 2015 में इन दोनों ने अपनी राजनीतिक विचारधारा को अलग रखकर एक राजनीतिक गठबंधन कर लिया था. ताकि वो श्रीलंका के पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को उनकी गद्दी से हटा सकें. पिछले कुछ समय से श्रीलंका की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं है. जिसकी वजह से रानिल विक्रमासिंघे ने प्रधानमंत्री रहते हुए, आर्थिक सुधार के लिए कई कदम उठाए. हालांकि, मैत्रीपाला सिरिसेना…. रानिल विक्रमासिंघे द्वारा लिए गए फैसलों से सहमत नहीं थे. और यही इन दोनों के बीच टकराव की एक बड़ी वजह बनी. जिसका नतीजा 26 अक्टूबर 2018 को सामने आया. जब इन दोनों के बीच का गठबंधन टूट गया. इसके बाद वहां के राष्ट्रपति मैत्रीपाला सिरिसेना ने रानिल विक्रमासिंघे को प्रधानमंत्री के पद से हटा दिया. और उनकी जगह पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे को प्रधानमंत्री के पद पर नियुक्त कर दिया. इसके अलावा उन्होंने वहां की संसद स्थगित कर दी थी. इस फैसले के लिए ये दलील दी गई, कि मैत्रीपाला सिरिसेना की जान को ख़तरा है. और रानिल विक्रमासिंघे की कैबिनेट के कुछ मंत्री उनकी हत्या की साज़िश रच रहे हैं. इसके लिए भारत से मदद लिए जाने की भी बात कही गई.
यहां आपको बता दें, कि रानिल विक्रमासिंघे को भारत का क़रीबी माना जाता है. जबकि महिंदा राजपक्षे को चीन का क़रीबी माना जाता है. इसके बाद ये पूरा मामला श्रीलंका की सुप्रीम कोर्ट में चला गया. सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की बेंच ने मैत्रीपाला सिरिसेना द्वारा इस मामले में लिए गए सभी फैसलों को खारिज कर दिया. और 14 नवंबर 2018 को वहां की संसद में Floor Test कराने की बात कही.
Floor Test होने के बाद श्रीलंका की संसद के स्पीकर ने ये घोषणा की, कि महिंदा राजपक्षे के खिलाफ No Confidence Motion पारित किया जा चुका है. क्योंकि Floor Test में उन्हें पर्याप्त समर्थन नहीं मिला था. यहां आपको ये बता दें, कि वहां की संसद में कुल 225 सीटें हैं. और सरकार बनाने के लिए कम से कम 113 सांसदों का समर्थन होना अनिवार्य है.हालांकि, महिंदा राजपक्षे के दल के सांसदों ने इस Floor Test को मानने से इंकार कर दिया. और इसके लिए उन्होंने ये दलील दी, कि स्पीकर ने ध्वनिमत से विश्वास प्रस्ताव कराया. और उसमें पारदर्शिता नहीं थी.
और आज की स्थिति ये है, कि श्रीलंका की संसद, एक तरह से युद्ध का मैदान बन चुकी है. हर रोज़ सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. और अपने पद से हटाए गए पूर्व प्रधानमंत्री रानिल विक्रमासिंघे अपने समर्थकों के साथ अपने आधिकारिक निवास पर डेरा जमाए बैठे हैं.