राजस्थान में चुनावी गहमागहमी बढ़ने के साथ आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तीखा होता जा रहा है
राजस्थान में चुनावी गहमागहमी बढ़ने के साथ आरोप-प्रत्यारोप का दौर भी तीखा होता जा रहा है. पुराने मुद्दे फिर से सियासी जुबान पर उछलने लगे हैं. इस कड़ी में 2011 में राजस्थान की राजनीति को हिलाकर रख देने वाला भंवरी देवी हत्याकांड का मामला फिर से सुर्खियों में है. ऐसा इसलिए क्योंकि इस हत्याकांड के आरोपी और पूर्व मंत्री महिपाल मदेरणा और कांग्रेस विधायक रहे मलखान सिंह विश्नोई के परिजनों को कांग्रेस ने एक बार फिर टिकट दिया है. इसके साथ ही खासकर मारवाड़ (जोधपुर डिवीजन) के चुनावी समर में भंवरी देवी का मुद्दा फिर से उछलने लगा है. राजस्थान में सात दिसंबर को वोटिंग है.
कांग्रेस ने पूर्ववर्ती अशोक गहलोत की सरकार में जल संसाधन मंत्री रहे महिपाल मदेरणा की बेटी दिव्या मदेरणा को ओसियां और कांग्रेस विधायक रहे मलखान सिंह विश्नोई के बेटे महेंद्र विश्नोई को लूनी से टिकट दिया है. इसके साथ ही सोशल मीडिया पर इस मुद्दे पर बहस शुरू हो गई है. दरअसल इन नेताओं का जाट और विश्नोई समुदाय से संबंधित सीटों पर खासा प्रभाव रहा है. संभवतया इस कारण ही इनके परिजनों को टिकट दिया गया.
मिडवाइफ भंवरी देवी की 2011 में अपहरण के बाद हत्या कर दी गई थी. उस चर्चित हत्याकांड के कारण राजस्थान की सत्ता में सियासी तूफान आने के बाद मामले की सीबीआई जांच कराई गई थी. उसके बाद महिपाल मदेरणा और मलखान सिंह विश्नोई को गिरफ्तार किया गया. इस हत्याकांड का असर 2013 के चुनाव में भी देखने को मिला. कांग्रेस को भारी शिकस्त का सामना करना पड़ा. उस चुनाव में महिपाल मदेरणा की पत्नी लीला मदेरणा और मलखान विश्नोई की मां अमरी देवी को कांग्रेस ने टिकट दिया था. लेकिन उनको भी हार का सामना करना पड़ा.
भंवरी देवी
एक सरकारी डिस्पेंसरी में नर्स थीं. उनके मलखान विश्नोई के साथ कथित रूप से नाजायज संबंध थे. भंवरी देवी का दावा था कि उसके तीन बच्चों में से एक बेटी इस संबंध की वजह से ही हुई थी. उसके बाद महिपाल मदेरणा से भी कथित संबंधों को उजागर करने वाला एक सेक्स टेप भी सार्वजनिक हुआ था. उसके बाद भंवरी देवी का अपहरण कर हत्या कर दी गई