मेडिकल कॉलेज के विद्यार्थियों को छुट्टी के लिए देना होगा आवेदन
अब एमबीबीएस, बीयूएमएस व अन्य मेडिकल कोर्स से जुड़े विद्यार्थी कक्षाओं से गायब नहीं रह सकेंगे। बिना जानकारी के लगातार गायब रहने पर मेडिकल यूनिवर्सिटी ऐसे विद्यार्थियों पर कार्रवाई करेगी। प्रदेश के सरकारी व निजी मेडिकल कॉलेजों की कक्षाओं, प्रैक्टिकल व वेबसाइट प्रशिक्षण से विद्यार्थियों के गायब रहने की शिकायतों के बाद मेडिकल यूनिवर्सिटी के कुलपति ने शनिवार को यह आदेश जारी किया है। उनके अनुसार मेडिकल शिक्षा ऐसी है कि कोई भी विषय च्वॉइस पर नहीं छोड़ा जा सकता। मेडिकल यूनिवर्सिटी द्वारा नियुक्त इंस्पेक्टरों को जांच के दौरान इस तरह की शिकायत मिल रही थी। इसलिए यूनिवर्सिटी ने प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों में यह आदेश दिया है।
मध्य प्रदेश आयुर्विज्ञान विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. आरएस शर्मा ने मेडिकल कॉलेजों का निरीक्षण किया था। प्रदेश के लगभग सभी मेडिकल कॉलेजों में विद्यार्थियों के अनधिकृत रूप से अनुपस्थित रहने की जानकारी मिली। इसे देखते हुए शनिवार को यह आदेश जारी किया। सभी कॉलेजों के डीन और प्राचार्य को कार्रवाई के लिए निर्देश दिए गए हैं। कॉलेज स्तर पर कड़े कदम ना उटाने पर यूनिवर्सिटी अपने स्तर पर कार्रवाई करेगी।
इस तरह होगी कार्रवाई
– पहली बार बिना सूचना अनुपस्थित रहने पर विभाग देगा कारण बताओ नोटिस।
दूसरी बार बिना सूचना अनुपस्थित रहने पर चेतावनी के साथ पालकों को सूचित किया जाएगा।
– तीसरी बार बिना सूचना अनुपस्थित रहने पर प्री-यूनिवर्सिटी परीक्षा की अनुमति नहीं दी जाएगी।
फिर भी लगातार अनुपस्थित रहने पर यूनिवर्सिटी को सूचना देकर पंजीयन रद्द किया जा सकता है।
कॉलेज टाइम में कर रहे प्राइवेट कोचिंग
यूनिवर्सिटी को कई तरह की शिकायतें मिली हैं। इसमें यह भी शिकायत है कि कई विद्यार्थियों कॉलेज टाइम में प्राइवेट कोचिंग जा रहे हैं। इस दिशा में डीन को निर्देशित किया गया है। वहीं संबंधित कॉलेज में शैक्षणिक गुणवत्ता, उचित अकादमिक वातावरण बनाने भी निर्देश दिया गया है।
जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर अमल करना होगा
यूनिवर्सिटी के अनुसार कॉलेजों को जीरो टॉलरेंस पॉलिसी पर अमल करना होगा। जो कॉलेज इसका पालन नहीं करेगा, उस पर भी कार्रवाई होगी। यूनिवर्सिटी के अनुसार जो विद्यार्थी हार्ट अटैक या अन्य किसी बीमारी की वजह से क्लास अटैंड नहीं करता है तो वह उसका इलाज कैसे कर पाएगा? यूनिवर्सिटी ने इस समस्या को छात्र स्तर पर ही हल करने का प्रयास भी किया है। उसके अनुसार संबंधित विद्यार्थियों को उस विषय के नोट्स बनाकर प्रोफेसर को दिखाना होंगे। उनके हस्ताक्षर के बाद ही यह माना जाएगा कि संबंधित विद्यार्थियों ने उस विषय का सामान्य ज्ञान हासिल कर लिया है।
सभी से चर्चा के बाद लिया है निर्णय
शिक्षा में सुधारात्मक कदम उठाने के प्रयास से यह आदेश दिया गया है। मध्य प्रदेश शासन के चिकित्सा विभाग के अतिरिक्त प्रमुख सचिव राधेश्याम जुलानिया, कमिश्नर चिकित्सा शिक्षा एसएस शुक्ला से विचार-विमर्श करने के बाद यह आदेश प्रदेश के सभी मेडिकल कॉलेजों को भेज दिया गया है। इस संबंध में कदम नहीं उठाने पर मेडिकल कॉलेजों पर भी कार्रवाई की जाएगी।