देश की राजधानी दिल्ली में स्कूली बच्चों के कंधों से जल्द ही बस्ते का बोझ कम होने वाला है
देश की राजधानी दिल्ली में स्कूली बच्चों के कंधों से जल्द ही बस्ते का बोझ कम होने वाला है। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने स्कूल बैग का भार कम करने के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे। केंद्र सरकार के आदेश के कुछ दिन बाद ही दिल्ली सरकार इस सराहनीय पहल के पक्ष में आई है और इस पर अमल के लिए राजी हो गई है।
बता दें कि मानव संसाधन मंत्रालय (HRD Ministry) ने राज्यों के साथ-साथ केंद्र शासित प्रदेशों को भी निर्देश जारी किए हैं कि पहली से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले बच्चों के बस्ते का बोझ सीमित किया जाए। दिल्ली सरकार ने केंद्र सरकार के स्कूल बैग कम करने वाले निर्देश को मानने के साथ ही स्कूल बैग कम करने के लिखित आदेश भी दिए हैं। इस बाबत दिल्ली सरकार की ओर शिक्षा निदेशालय को एक लेटर भी जारी हुआ है।
इसके साथ ही मानव संसाधन मंत्रालय ने कहा है कि स्कूल बच्चों के बैग के वजन को कम करने के लिए भारत सरकार के निर्देशों के अनुसार नियम बनाएं। बता दें कि सरकार द्वारा बनाए गए नियमों में पहली से लेकर 12वीं तक की पढ़ाई करने वाले बच्चों के बस्ते का बोझ सीमित किया गया है। इसके तहत हर क्लास और बच्चों की उम्र के हिसाब से बस्ते का वजन भी निर्धारित किया गया है। वहीं, इसके साथ-साथ छोटी क्लास में होमवर्क को भी बंद किया जाए।
क्लास के हिसाब से वजन
नए नियमों के मुताबिक, क्लास-1 और 2 के स्टूडेंट्स के बैग का वजन 1.5 किलो होगा। तीसरी से पांचवी में 2-3 किलो, क्लास-6 से 7 तक चार किलो, आठवीं से नौवीं तक 4.5, जबकि क्लास-10 में पढऩे वाले स्टूडेंट्स के बैग का वजन केवल 5 किलो निर्धारित किया गया है। यही नहीं, किस क्लास के लिए कौन से सब्जेक्ट की बुक लाना जरूरी है, इसके लिए भी राज्यों के शिक्षा अधिकारियों को जरूरी दिशा-निर्देश जारी कर दिए गए हैं।
1980 में आरके नारायण ने राज्यसभा में बच्चों के बस्ते के बोझ को कम करने की आवाज उठाई थी। उन्होंने स्कूल बस्ते का बोझ कम करने के लिए एक कोशिश की थी, अब जाकर इस पर सही कदम उठाया गया है।
- पहली और दूसरी के बच्चों के लिए बस्ते का वजन 1.5 किग्रा
- तीसरी से पांचवीं तक के बच्चों के लिए 2 से 3 किग्रा
- छठी और 7वीं के बच्चों के लिए 4 किग्रा
- आठवीं और नौवीं के बच्चों के लिए 4.5 किग्रा
- 10वीं के बच्चों के लिए 5 किग्रा
यहां बता दें कि हाल ही में एसोचैम की एक रिपोर्ट में भी सामने आया था कि 13 साल या इससे कम उम्र के 68 फीसद बच्चे बस्ते के बोझ से परेशान हैं और इन बच्चों ने पीठ में दर्द की शिकायत की है।