डांट से परेशान 7वीं की छात्रा ने की खुदकुशी, हाथ पर लिखा- स्कूल को बता देना
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दिल्ली के नारायणा विहार इलाके (Delhi Narayana Vihar Area) में शिक्षक की डांट से परेशान 7वीं की छात्रा ने खुदकुशी (Suicide) कर ली। छात्रा ने अपने हाथों पर लिखा था, मौत की सूचना स्कूलवालों को जरूर दे देना। पुलिस ने इस मामले में छात्रा के सहपाठियों के बयान दर्ज किए हैं। वहीं, स्कूल प्रबंधन भी कमेटी बनाकर मामले की जांच कर रहा है।
जानकारी के अनुसार, छात्रा डेजी अपनी मां कमल राठौर के साथ इन्द्रपुरी में रहती थी। मां तीस हजारी कोर्ट में वकील हैं। मां कमल ने बताया कि शुक्रवार को डेजी स्कूल से रोते हुए घर आई। पूछने पर उसने बताया कि बायो टीचर ने उसे डांटा और बेइज्जती की। शनिवार सुबह वह स्कूल नहीं जाने की जिद करने लगी तो मां कमल उसे घर पर ही छोड़कर कोर्ट चली गईं।
शाम करीब 4 बजे जब वह घर लौटीं तो उन्होंने बेटी डेजी को कमरे में पंखे से लटके पाया। इसके बाद वह तुरंत पंखे से उतारकर उसे अस्पताल ले गईं, लेकिन बचाया नहीं जा सका। पुलिस को छात्रा के कमरे से एक पेज का सुसाइड नोट भी मिला है।
बेटी तीन महीने से कह रही थी स्कूल बदलवा दो : छात्रा की मां कमल राठौर का कहना है कि उनकी बेटी डेजी तीन महीने से अपनस स्कूल बदलवाने को बोल रही थी, लेकिन उन्होंने हर बार उन्होंने उसकी बात टाल दी। अब उन्हें पछतावा हो रहा है कि काश बेटी की बात मान ली होती तो उसकी जान बच जाती।
आत्महत्या से पहले छात्रा ने एक पेज का सुसाइड नोट भी लिखा था। साथ ही, अपने हाथ और कलाई पर भी लिखकर दर्द बयां किया। नोट में छात्रा ने स्कूल में परेशान करने की बात कही है। वहीं, अपनी नानी और मां को लव यू लिखकर माफी भी मांगी है। छात्रा ने अपने हाथ पर लिखा है कि जय श्री कृष्णा भगवान मैं आपके पास आ रही हूं।
स्कूल वाले घर आ रहे हैं
छात्रा की मां ने बताया कि मौत की खबर सुनते ही स्कूल प्रबंधन के लोगों ने उनसे सम्पर्क किया और लगातार उनके घर आ रहे हैं। पिछले पांच दिनों में प्रबंधन की ओर से बात करने के लिए प्रिंसिपल, वाइस प्रिंसिपल और अखिल नाम के शिक्षक तीन बार आ चुके हैं।
20 दिसंबर को जन्मदिन था
कमल राठौर ने बताया कि वह बेटी के साथ घर में अकेली रहती हैं। पति से तलाक हो चुका है। 20 दिसंबर को बेटी का जन्मदिन था। इसके लिए मां-बेटी तैयार कर रहे थे। बेटी दोस्तों को पार्टी का न्योता भी दे चुकी थी।
स्कूल में परेशान करना अपराध
शिक्षा से जुड़े मामलों के जानकार अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने बताया कि कानून में बच्चों को दंडित करने वालों के खिलाफ कड़े प्रावधान हैं। शिक्षा के अधिकार कानून में छात्र-छात्राओं को किसी तरह से शारीरिक दंड देने या कक्षा से बाहर करने का प्रावधान नहीं है। इसके अलावा स्कूल में होमवर्क पूरा नही करने, यूनीफॉर्म नही पहनने, या किसी भी वजह से बच्चों को शारीरिक सजा नहीं दी जा सकती। बच्चों के साथ क्रूरता अपराध है।
दोस्तों से बोली थी अब मैं स्कूल नहीं आऊंगी
छात्रा डेजी ने शुक्रवार को स्कूल से घर लोटते समय अपने दोस्तों को बोला था कि अब वह कभी स्कूल नहीं आएगी और कभी भी उनसे नहीं मिले सकेगी। वह घर जाकर आत्महत्या कर लेगी। इस पर उसके दोस्तों ने यह बात उसकी मम्मी से बोलने की बात कही तो छात्रा डेजी ने उन्हें दोस्ती की कसम दे दी। इसके बाउ दोस्तों के बार-बार समझाने पर उसने आत्महत्या करने से इनकार कर दिया, लेकिन दोस्तों से शनिवार को स्कूल नहीं आने की बात कहकर घर चली गई। उसके दोस्तों को इस बात का बिल्कुल भी अंदाजा नहीं था कि वह सच में जान दे देगी।