उत्तराखंड

उत्तराखंड, हिमाचल व जम्मू-कश्मीर के किसान एक दूसरे को नहीं बेच पाएंगे आलू

उत्तराखंड समेत हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर में कुफरी प्रजाति के आलू बीज का उत्पादन अब नहीं होगा। इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर रिसर्च की ओर से तीनों राज्यों में कराए गए शोध में इस आलू में सूत्र कृमि या निमेटोड बीमारी के वायरस होने की पुष्टि हो गई है। इस वायरस की वजह से उत्पादन न्यूनतम हो जाता है। शोध रिपोर्ट के बाद भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने नोटिफिकेशन जारी कर इस आलू के बीज के एक राज्य से दूसरे राज्य में लाने ले जाने पर रोक लगा दी है। भारत सरकार के इस फैसले के बाद उद्यान विभाग ने अब आलू फेडरेशन मदकोट मुनस्यारी पिथौरागढ़ में उपलब्ध ढाई हजार क्विंटल से अधिक प्रमाणित बीज अब राज्य के किसानों को बेचने का निर्णय लिया है।

दरअसल, कुमाऊं के पांच पर्वतीय जिलों में आलू उत्पादन हजारों किसानों की आय का मुख्य जरिया है। पहाड़ में अधिकांश किसान कुफरी प्रजाति के आलू बीज का उपयोग करते हैं। उद्यान विभाग के माध्यम से आलू बीज की बिक्री किसानों को की जाती है, लेकिन इस बार अब तक जिलों को आवंटन नहीं होने से किसानों की चिंता बढ़ गई। उद्यान निदेशक आरसी श्रीवास्तव के अनुसार मदकोट आलू फेडरेशन में करीब तीन हजार क्विंटल आलू बीज उपलब्ध है। सोमवार से उसका जिलों को आवंटन कर दिया जाएगा। साथ ही साफ किया कि इस आलू को साफ पानी से धोने के बाद ही बीज के रूप में प्रयुक्त किया जाएगा।

यहां होता था आलू बीज उत्पादन

पिथौरागढ़ जिले के आलू फार्म बलाती, तिक्सेन, नैनीताल जिले में मल्ला रामगढ़, अल्मोड़ा के पटोरिया, टिहरी गढ़वाल के रानीचौरी व धनोल्टी। यहां उल्लेखनीय है कि कृषि मंत्रालय की नोटिफिकेशन में राज्य के पिथौरागढ़, अल्मोड़ा, टिहरी, चमोली व नैनीताल, जम्मू-कश्मीर के रामबन, राजौरी, सोपिया व जम्मू जिला, हिमाचल प्रदेश के सिरमौर, शिमला, चंबा व कूल्ले में इस आलू के बीज के रूप में प्रयुक्त करने पर पाबंदी लगाई है।

क्या है यह बीमारी

संयुक्त उद्यान निदेशक अजय यादव बताते हैं कि निमेटोलॉजी या सूत्र कृमि मिट्टी में पाया जाता है। यह रोग टमाटर की पौध के साथ बैगन, शिमला मिर्च की पौध भी सुखा देता है। जबकि आलू की जड़ में यह रोग लगता है तो आकार छोटा हो जाता है। यही वजह है कि मंत्रालय को बकायदा नोटिफिकेशन जारी करना पड़ा।

बीज समस्‍या का हो चुका है समाधान

आरसी श्रीवास्तव, निदेशक उद्यान ने बताया कि आलू बीज की समस्या का समाधान हो चुका है। मुनस्यारी आलू फेडरेशन से तीन हजार क्विंटल आलू उपलब्ध हो चुका है। छंटाई के बाद करीब ढाई हजार कुंतल आलू बीज तैयार हो जाएगा। 2200 कुंतल की डिमांड है, जिसमें से कुमाऊं के जिलों को करीब डेढ़ हजार कुंतल चाहिए। बीज आलू की कीमत 30-32 रुपये प्रति किलो है, 50 फीसद राज्य सरकार द्वारा सहायता दी जाती है, ऐसे में किसान को प्रति किलो 15-16 रुपये चुकाने होंगे।

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