उत्तराखंड

देवभूमि में होगा विरासत का संरक्षण, एक्ट बनाने में जुटी सरकार

देवभूमि में ऐतिहासिक व पौराणिक महत्व की धरोहरों के संरक्षण के लिए राज्य सरकार हेरिटेज कंजर्वेशन एक्ट लाने जा रही है। पर्यटन महकमा इन दिनों इसका मसौदा तैयार करने में जुटा है। एक्ट में यह भी प्रावधान होगा कि इन धरोहरों को रखरखाव के लिए निजी क्षेत्र को भी दिया जा सकेगा। इस पहल के पीछे सरकार की मंशा धरोहरों के संरक्षण के साथ ही इनके जरिये पर्यटकों को आकर्षित कर विरासत पर्यटन को बढ़ावा देने की है। वर्तमान में राज्य में 71 धरोहरों के रखरखाव का जिम्मा संस्कृति विभाग के पास है।

उत्तराखंड को पर्यटन को आर्थिकी का अहम जरिया बनाने की कड़ी में हाल में जारी की गई नई पर्यटन नीति में विरासत पर्यटन भी शामिल है। इसके तहत प्रदेशभर में राज्याधीन ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व के स्मारकों, मंदिर समूहों, भवनों एवं स्थलों से पर्यटकों को रूबरू कराने पर जोर दिया गया है। इस सबके मद्देनजर अब धरोहरों के संरक्षण पर फोकस किया गया है और इसके लिए हेरिटेज कंजर्वेशन एक्ट तैयार किया जा रहा है। इसके तहत धरोहरों के संरक्षण को निजी क्षेत्र के लिए दरवाजे खोले जा रहे हैं और इसके नियम-कायदे पर मंथन चल रहा है। एक्ट का मसौदा तैयार होने के बाद इसे कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा।

बजट की रही है दिक्कत


वर्तमान में राज्य में ऐसी 71 धरोहर हैं, जिनका रखरखाव संस्कृति विभाग करता है। इनमें मंदिर समूह, मंदिर, भवन व स्थल शामिल हैं। इनके रखरखाव के लिए विभाग को मुख्यमंत्री के विवेकाधीन कोष पर निर्भर रहना पड़ता है। बजट की दिक्कतों को देखते हुए अब सरकार ने इस मद में बजट प्रस्तावित किया है। हालांकि, हेरिटेज कंजर्वेशन एक्ट बनने के बाद धरोहरों को रखरखाव के लिए निजी क्षेत्र को देने पर सरकार को राहत मिलेगी।

झंझटों से बचने की भी मंशा 

राज्य सरकार चाहे तो इन धरोहर को संरक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) को दे सकती है, लेकिन ऐसा करने से वहां पर्यटकों के लिए बंदिशें लगने पर पर्यटन के लिहाज से इनके उपयोग में दिक्कत आएगी। सरकार की मंशा, इन धरोहरों के संरक्षण के साथ ही इनके जरिये पर्यटन की है। इसलिए वह धरोहरों को अपने पास ही रखना चाहती है और इसी कड़ी में एक्ट लाया जा रहा है।

सचिव पर्यटन दिलीप जावलकर ने बताया कि हेरिटेज कंजर्वेशन एक्ट के मसौदे पर कार्य चल रहा है और जल्द ही इसे अंतिम रूप देकर कैबिनेट के समक्ष रखा जाएगा। यही नहीं, इस बार से धरोहरों के संरक्षण के लिए अलग से बजट भी प्रस्तावित किया गया है। इन पहलों से विरासत पर्यटन को पंख लग सकेंगे।

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