प्रदेश में यूरिया की किल्लत को देखते हुए गहलोत सरकार ने घटाई केंद्र से दूरियां
प्रदेश के ज्यादातर हिस्सों में गेहूं की बुवाई हो चुकी है और फसल को पहला पानी पिलाने से पहले खाद की दरकार पड़ रही है. ऐसे में अलग-अलग जगहों से अचानक यूरिया की मांग बढ़ी है. कुछ जगह पुलिस के पहरे में भी यूरिया बिक रहा है, लेकिन सरकार की कोशिश है कि किसानों को किसी भी सूरत में यूरिया की उपलब्धता को लेकर कोई समस्या नहीं आए.
इस सिलसिले में कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव ने दिल्ली में केंद्र के अधिकारियों से बातचीत कर राजस्थान के लिए यूरिया के अतिरिक्त आवंटन की मांग की है. वहीं, इस मामले में सरकार ने किसानों को भी आश्वस्त करते हुए कहा, कि जिस भी किसान को यूरिया चाहिए उसकी जरूरत हर हाल में राज्य सरकार पूरी करेगी.
प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में गेहूं की बुवाई के साथ ही यूरिया की मांग बढ़ गई है. हालांकि इस मांग को पूरा करने के लिए सरकार की तरफ से कोशिश भी की गई, लेकिन कुछ जगह बनावटी किल्लत और कालाबाजारी से पेचीदगी के हालात बन गए. ज्यादा चिंता कोटा संभाग से आई, जहां पर कुछ जगह लंबी कतारें देखी गईं तो कुछ जगह पुलिस और कृषि विभाग के अधिकारियों की निगरानी में किसानों को यूरिया बांटा गया.
माना जा रहा है कि अशोक गहलोत भी यूरिया के संकट के मसले पर गंभीर हैं. गहलोत के निर्देश पर ही डीबी गुप्ता ने प्रमुख शासन सचिव अभय कुमार को दिल्ली भेजा था और यूरिया की समुचित व्यवस्था के निर्देश दिए थे.
यूरिया की इस बनावटी कमी को दूर करने के लिए सरकार अलर्ट मोड़ पर दिख रही है. मुख्यमंत्री के निर्देश पर कृषि विभाग के प्रमुख शासन सचिव अभय कुमार दिल्ली पहुंचे. वहां केंद्रीय उर्वरक और रसायन मंत्रालय के सचिव से मुलाकात हुई तो इस दौरान राजस्थान के लिए 60 हजार मीट्रिक टन यूरिया अतिरिक्त आवंटन का आग्रह भी राज्य की तरफ से किया गया.
दिल्ली से लौटकर अभय कुमार ने यूरिया उत्पादक कंपनियों के प्रतिनिधियों के साथ भी बैठक भी की थी. पंत कृषि भवन में हुई बैठक में अभय कुमार ने चंबल फर्टिलाइजर और श्री राम फर्टिलाइजर को साफ निर्देश देते हुए कहा कि दोनों कंपनियां सड़क मार्ग से भी प्रदेश में यूरिया की सप्लाई सुनिश्चित करें.
प्रमुख शासन सचिव अभय कुमार के दौरे से यह तो साफ हो गया कि 1 सप्ताह में प्रदेश में 1 लाख 35 हज़ार मीट्रिक टन से ज्यादा यूरिया की सप्लाई हो जाएगी. इस कड़ी में दिल्ली से रेल्वे की 11 रैक रवाना हो गई है. जिसमें 33 हज़ार मीट्रिक टन यूरिया है. इसके साथ ही 7 दिन के भीतर 34 रेलवे रैक की एक लाख मीट्रिक टन से ज्यादा यूरिया लेकर प्रदेश के अलग-अलग हिस्सों में पहुंच जाएंगी.
दरअसल यूरिया की किल्लत या इसकी ब्लैक मार्केटिंग की आशंका की खबर कोटा संभाग के अलावा प्रदेश के और किसी से से अभी तक सरकार को नहीं मिली है. ऐसे में कृषि विभाग का आकलन है कि, बाजार में लहसुन के अच्छे भाव नहीं मिलने के चलते कई लहसुन उत्पादक किसान इस बार गेहूं की बुवाई का रुख कर चुके हैं. वैसे सरकार का दावा है कि गेहूं की बुवाई का रकबा बढ़ने से थोड़े दिन के लिए यूरिया की कमी आई थी, जिसे जल्द दूर कर दिया जाएगा.