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हिमालय में फंसे 5 युवकों ने फूल-पत्‍ते और पेड़ की छाल खाकर बचाई अपनी जान,

भारी बर्फबारी के चलते हिमालय में फंसे दिल्‍ली के 5 युवकों सहित 11 लोगों को अपनी जान बचाने के लिए दो दिनों तक बुरांश के फूल और भोज पत्र खाने के लिए मजबूर होना पड़ा. दरअसल, ये सभी लोग हिमालय में ट्रैकिंग के इरादे से निकले थे. रास्‍ते में भारी बर्फबारी के चलते ये सभी लोग अपना रास्‍ता भटक गए. अपनी जान बचाने के लिए इन्‍होंने पहले हिमालय में स्थित एक गुफा में पनाह ली.

अब तक इन लोगों के पास मौजूद खाने का सामान खत्‍म हो चुका था. दो दिन से भूखे-प्‍यासे इन लोगों को अपनी जान बचाने के लिए बुरांश के फूल, पत्‍ते, भोज पत्र और बर्फ खाने के लिए मजबूर होना पड़ा. गनीमत रही कि समय रहते आईटीबीपी के जवान इन लोगों को खोजते हुए हिमालय की इस गुफा में पहुंच गए. जिसके बाद, इन सभी को रेस्‍क्‍यू कर सुरक्षित मुनस्‍यारी ले आया गया.

20 दिसंबर को बागेश्‍वर से रवाना हुआ था ट्रैकर्स का यह दल

आईटीबीपी के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार, ट्रैकर्स के इस दल में कुल 11 लोग शामिल थे. जिसमें दिल्‍ली के 5 ट्रैकर्स, 5 पोर्टर और 1 गाइड शामिल था. यह दल 20 दिसंबर को कुमायूं के बागेश्‍वर से ट्रैकिंग के लिए रवाना होना था. तय कार्यक्रम के अनुसार, इस दल को 5 दिनों में अपनी ट्रैकिंग पूरी कर 25 दिसंबर को पिथौरागढ़ (उत्‍तराखंड) के मुनस्‍यारी शहर स्थिति कंट्रोल रूम में रिपोर्ट करना था.

हिमालय में भारी बर्फबारी के चलते भटके ट्रैकर्स

उन्‍होंने बताया कि यह दल अपनी दो दिन की ट्रैकिंग पूरी कर पाया था, तभी हिमालय में भारी बर्फबारी शुरू हो गई. बर्फबारी का आलम यह था कि देखते ही देखते पूरे हिमालय क्षेत्र में करीब चार से पांच फीट तक बर्फ जमा हो चुकी थी. सभी रास्‍तों में बर्फ जमा होने के चलते यह दल अपने रास्‍ते से भटक गया. सुरक्षित पनाहगार की खोज में यह दल इधर से उधर भटकता रहा. इस बीच, इनके पास मौजूद खाने का सामान और पानी भी खत्‍म हो गया.

गुफा मे ली ट्रैकर्स ने पनाह 

दो दिन भटकने के बाद इस दल को एक गुफा नजर आई. जहां सभी 11 लोगों ने पनाह ली. इन लोगों को जान बचाने के लिए एक सुरक्षित गुफा तो मिल गई थी, लेकिन अब तक उनके पास मौजूद खाने का सारा सामान और पानी खत्‍म हो चुका था. करीब 24 घंटे तक इस दल ने किसी तरह अपनी भूख बर्दाश्‍त की. बर्फीली सर्दी के बीच लगातार भूखे रहने के चलते टैकर्स का ब्‍लड प्रेशर भी गिरने लगा. ऐसे में जान बचाने के लिए कुछ खाना जरूरी हो गया.

बुरांश के फूल, पत्‍ते और पेड़ की छाल खाकर बचाई जान

आईटीबीपी के वरिष्‍ठ अधिकारी के अनुसार, इन लोगों ने अपनी प्‍यास बुझाने के लिए हिमालय में मौजूद ताजी बर्फ का सहारा लिया. ये लोग लगातार बर्फ चूस कर अपनी प्‍यास बुझाते रहे. लेकिन, अब तक इनको खाने के लिए कुछ नहीं मिला था. इसी बीच, ट्रैकर्स के साथ चल रहे गाइड को बुरांश के फूल नजर आ गए. गाइड ने पोटर्स की मदद से बुरांश के फूल, पत्‍ते और भोज पत्र (पेड़ की छाल) इकट्ठा किया. जिसके बाद सभी ट्रैकर्स ने यही फूल-पत्‍ते और भोज पत्र खाकर अपनी जान बचाई.

24 दिसंबर की रात शुरू हुआ आईटीबीपी का रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन 

आईटीबीपी के सेकेंड इन कमांड विवेक पांडेय के अनुसार, 24 दिसंबर की रात कंट्रोल रूप ने आईटीबीपी की 14वीं बटालियन से रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन के लिए मदद मांगी. कंट्रोल रूम ने आईटीबीपी को जानकारी दी कि टैकर्स से आखिरी संपर्क मुनस्‍यारी के अंतर्गत आने वाले खालिया टॉप हुआ था. कंट्रोल रूम से मिली जानकारी के आधार पर आईटीबीपी ने अपनी एक टीम रेस्‍क्‍यू ऑपरेशन के लिए रवाना कर दी. करीब 8 घंटे की जद्दोजहद के बाद आईटीबीपी के जवानों ने सभी ट्रैकर्स को खोज निकाला.

टैकर्स को वापस लाना नहीं था आसान

आईटीबीपी के सेकेंड इन कमांड विवेक पांडेय के अनुसार, सभी ट्रैकर्स को खोज निकालने के बावजूद उन्‍हे मुनस्‍यारी तक लाना आसान नहीं था. इसमें सबसे बड़ी बाधा हिमालय में जमी 4 से 5 फीट तक जमी बर्फ थी. आईटीबीपी के जवानों ने पहले बर्फ को काट कर रास्‍ता बनाया, इसके बाद इन सभी टैकर्स को सुरक्षित मुनस्‍यारी लाया गया. जहां उनका मेडिकल चेकअप किया गया. मेडिकल चेकअप में सब कुछ ठीक पाए जाने के बाद इन सभी को उनके गंतव्‍य के लिए रवाना कर दिया गया है.

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