जम्मू कश्मीर

शेड नेट से नियंत्रित तापमान में कर सकते हैं खेती, जानिए क्या है शेड नेट!

वर्तमान समय में बदली रही खेती के दौर में शेड नेट में खेती करने की परंपरा जम्मू में प्रचलित होने लगी है। पिछले छह माह के दौरान जिले में शेड नेट के दो दर्जन यूनिट स्थापित किए गए हैं। इनके जरिए नियंत्रित तापमान में खेती तो हो ही रही है, वहीं यह शेड नेट अन्य किसानों ने लिए लिए भी रोल आफ माडल बने हुए हैं। मंडाल क्षेत्र में स्थापित शेड नेट ने अन्य किसानों का ध्यान अपनी ओर खींचा है। यही नही पढ़े लिखे ग्रामीण युवाओं ने इस तरह की पद्दति के तहत यूनिट लगाने के लिए आवेदन कृषि विभाग को सौंपे हैं। केंद्र सरकार भी नियंत्रित तापमान में खेती के लिए किसानों को प्रोत्साहन करने में जुटा हुआ है।

शेड नेट लगाने के लिए सरकार की ओर से 50 फीसद सब्सिडी उपलब्ध कराई जा रही है। सरकार की सहायता से युवा किसानों का रुझान शेड नेट खेती की ओर बढ़ा है। कृषि अधिकारियों का कहना है कि अगर किसानों को अच्छे पैसे बनाने हैं तो शेड नेट की खेती बेहतर है। किसानों को बस नए जमाने की खेती को समझने की जरूरत है।

क्या है शेड नेटः यह एक ऐसी तरीका है जिसमें जाल के अंदर नियंत्रित किए गए तापमान में खेती की जा सकती है। दो तरह के जाल (नेट) होते हैं। उपर का हिस्सा सफेद होता है, जबकि निचला जाल हरे रंग का होता है। ढांचे के अंदर फागर भी लगे होते हैं। अगर वातावरण को ठंडा करना हो तो हरा नेट खोल दिया जाता है। और ज्यादा तापमान घटना हो तो फागर भी चलाने पड़ते हैं। अगर गर्मी चाहिए तो हरे नेट को भी बंद कर देना होता है। तापमान को निंयत्रित कर विपरीत मौसम में भी फसल शेड नेट के अंदर ली जा सकती है। पंजाब, हरियाणा में आज इसी तकनीक से खेती होने लगी है।

कितना खर्चा आता है: अगर आपको 3500 वर्ग मीटर में शेड नेट तैयार करना है तो 25 लाख रुपये का खर्चा आएगा। लेकिन मजे की बात है कि अगर सरकार के मार्गदर्शन पर काम किया जाता है तो 50 फीसद की सब्सिडी मिलने से शेड नेट का खर्च आधा बच जाएगा। खर्चा बचाने क लिए छोटी जगह पर भी शेडनेट लगाया जा सकता है।

क्या कहते हैं किसान : पनोत्रे चक के किसान कुलदीप राज ने 3500 वर्ग मीटर में शेड नेट तैयार कर क्षेत्र में वाहवाही पाई है। उन्होंने किसानों से कहा कि अब तो खेती करने का उनका तरीका ही बदल गया। शेड नेट के अंदर पैदाहोने वाली साग सब्जियां वैसे धूल मिट्टी से बची तो रहती ही हैं, वहीं कीटों के हमले से भी बची रहती हैं। वही दूसरा फायदा यह है कि यहां समयसे पहले सब्जियां तैयार हो जाती हैं। किसानों को हिम्मत ज्ुटा कर इस खेती में आना चाहिए।

चीफ एग्रीकल्चर आफिसर नरेंद्र मिश्रा का कहना है कि जिले में शेड नेट के लगे कुछ यूनिटों को देखकर पढ़े लिखे युवा भी इस ओर आकर्षित हुए हैं। हमारे पास एमबीए करने वाले ग्रामीण युवाओं ने भी इस तरह के शेड नेट लगाने के लिए आवेदन किए हैं। इससे शेड नेट खेती की खासियत का पता चल जाता है। किसानों को सामने आना चाहिए और नए जमाने की खेती के बारे में सोचना चाहिए।

Related Articles

Back to top button