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चाय के आशिक है तो जरूर पढ़ें यह खबर, जरूर भाएगी ‘तंदूरी’ और ‘मुच्छड़’ की चुस्की

दिल्ली की सर्दी को देख जहां लेखक भी डर के मारे भाग खड़े होते हैं। बड़े-बड़े कलाकार भी कुछ खास यादों में यहां की गुलाबी सर्दी को संजोए रखते हैं। वहीं इस सर्दी को इस बार और खास बना रही है तंदूरी चाय की चुस्कियां। लुढ़कते पारे…सर्द हवाओं की ठिठुरन को तंदूरी चाय की चुस्कियां गर्माहट दे रही हैं। दरअसल अब लेमन टी, ग्रीन टी, ब्लैक टी से अब बात नहीं बनेगी। तंदूरी चाय का उबाल ही हाड़ कांपती सर्दी को नरम करने लगता है। चुस्कियों से पहले ही राहत की भाप शरीर में थोड़ी-थोड़ी गर्माहट देने लगती है। आपकी तलब बढ़ गई न तो ज्यादा मशक्कत नहीं करनी है सिर्फ इन दिनों दिल्ली की धड़कन यानी कनॉट प्लेस के इंपोरिया कांप्लेक्स में दिल्ली के पकवान मेला चल रहा है। वहां जाइए और इस चाय का जी भर सुस्वाद लीजिए। यहां हर किसी को दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र के हाथों से बनी तंदूरी चाय खूब पसंद आ रही है। यहां इसकी कीमत 50 रुपये है वैसे मळ्खर्जी नगर स्थित दुकान पर 20 रुपये में मिलती है।

यूं शुरू हुआ सफर

दिल्ली के पकवान का आयोजन 30 दिसंबर तक चला। इसमें लोगों ने दिल्ली-6 के जायके के साथ ही कुल्चा किंग, बद्री प्रसाद गया प्रसाद, कुरेमल की कुल्फी, दौलत की चाट, महेश सुपारी, महीर कुरैशी के जायके भी चखा, लेकिन पकवान के इस मेले में खास चर्चा रही तो तंदूरी चाय की। पकवान मेले में इसका स्टॉल छोटा थी, लेकिन भीड़ ज्यादा थी। स्टॉल के दोनों तरफ लोग खड़े थे। पैसे देने के बावजूद लाइन लगाकर चाय खरीदते दिखे थे। हिमांशु (22) और अमर (23) पार्टनरशिप में दुकान चलाते हैं। कहते हैं कि आठ महीने पहले अपना स्टार्टअप शुरू किया था। मुख्य दुकान तो मुखर्जी नगर में अल्फा तंदूरी चाय के नाम से मौजूद है। हिमांशु ने कहा कि एक बार हम तुर्की घूमने गए थे। वहां पहली बार हमने यह चाय देखी थी। कुछ समय पहले हम दोनों ऋषिकेश गए थे। वहां दोबारा यही चाय दिखी। लोग चाय पीने के लिए बेकरार दिखे तो हमने कई बार दुकान पर चाय पी। इस तरह पहली बार दिल्ली वालों को इस तरह की चाय पिलाने का आइडिया क्लिक किया।

नौकरी नहीं मिली तो खोली दुकान

हिंमाशु बताते हैं कि दिल्ली विश्वविद्यालय से पासआउट हूं। हंसराज कॉलेज से बीएससी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वो नौकरी की तलाश कर रहा था। कई जगह इंटरव्यू भी दिया लेकिन नौकरी नहीं मिली। इस बीच चाय वाला आइडिया अमल में लाए और इस तरह मुखर्जी नगर में दुकान खुली। बकौल हिमांशु हम पार्टनरशिप में दुकान चला रहे हैं। प्रतिदिन करीब 300 लोग हमारी दुकान पर चाय पीने आते हैं।

यूं बनाते हैं तंदूरी चाय

हिमांशु कहते हैं कि हम स्थानीय लोगों से कुल्हड़ खरीदते हैं। तंदूर में कुल्हड़ को गर्म करने के लिए रख देते हैं। चाय होती तो नार्मल है लेकिन खास बनाता है हमारा एक मसाला। जो हम अपने घर पर ही तैयार करते हैं। कुल्हड़ जब तंदूर में खूब गर्म हो जाता है एवं चाय उबलने लगती है तो गरमा गरम चाय को कुल्हड़ में डालते हैं। यह दो बार उबाल लेती है। पहले तंदूर एवं फिर कुल्हड़ की भीनी-भीनी खुशबू चाय में मिल जाती है। इससे चाय स्पेशल हो जाती है और फिर सर्व करते हैं। हम तंदूरी चाय की तरह ही तंदूरी कॉफी भी बनाते हैं।

वाह..उस्ताद वाह

दिल्ली की सर्दी में गरमा गरम चाय पीकर दिल्ली के पकवान उत्सव में लगभग सभी बोल पड़ते हैं वाह..उस्ताद वाह। क्या तंदूरी चाय पिलाई है। लक्ष्मी नगर से आए मनोज कहते हैं कि दिल्ली में पहली बार उन्होंने यह चाय पी है। दिल्ली में हर जगह मिलती भी नहीं है। इसका स्वाद रोजमर्रा के दिनों में मिलने वाली चाय से बहुत जुदा है।

मुच्छड़ दी स्पेशल चाय

स्थान- सैदुल्लाजाब गांव, सैनिक फार्म।

साकेत मेट्रो स्टेशन से महज पांच मिनट की दूरी पर स्थित यह चाय की दुकान स्वाद के शौकीनों के बीच बहुत प्रसिद्ध है। कारण, यहां की साधारण एवं तंदूरी चाय। जिसे बड़े सलीके से बनाया जाता है। तंदूरी चाय पीने वालों के लिए यह बेहतरीन ठौर है।

यहां भी उतर जाएगी थकान

स्थान : मदरसे वाली गली, नीयर जाफराबाद।

मेट्रो स्टेशन मेट्रो का सफर करने वाले दिल्लीवासियों के लिए यह दुकान काफी जानी पहचानी है। कारण, वो सफर का थकान उतारने के लिए यहीं तंदूरी चाय पीते हैं। गर्म कुल्हड़ में चाय का स्वाद ताजगी भर देता है।

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