वाइल्ड लाइफ ने सेना के 14 चितकबरे हिरण लेने की पेशकश को ठुकराया
रतनूचक बिग्रेड में पल रहे चितकबरे हिरण और अन्य वन्य जीवों को जम्मू-कश्मीर वन्य जीव विभाग को सौंपने की सेना की अर्जी को विभाग ने ठुकरा दिया है। सुरक्षा का हवाला देकर सेना ने ब्रिगेड में पल रहे चितकबरे हिरण, गुआयना पिग आदि वन्य जीवों को अपने अधीन लेने के लिए कहा। लेकिन सेना की यह पेशकश उसके लिए ही परेशानी का सबब बन गई। विभाग के प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर आफ फारेस्ट ने वन्यजीवों को अपने कब्जे में लेने के बजाए यह तकाजा किया है कि बिग्रेड में नेचर पार्क क्या जेएडंके वाइल्ड लाइफ प्रोटेक्शन एक्ट 1978 के प्रावधानों के तहत बनाया गया है? इतना ही नहीं विभाग ने यह भी पूछा कि नेचर पार्क को बनाने से पहले इसकी कोई अनुमति ली?
सैन्य सूत्राें के मुताबिक आज से दस साल पहले उन्हें बिग्रेड में चितकबरे हिरण का बच्चा मिला था, जिसे उन्होंने पाला पोसा। जिसके बाद उनकी आबादी बढ़ती गई अब उनकी संख्या 14 हो गई है। जबकि बतखों की संख्या 41, खरगोश 20, गुआयना पिग 10 हैं। यह पत्र आर्मी स्कूल की प्रिंसीपल सोनल शर्मा ने चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन, प्रिसीपल चीफ कंजरवेटर आफ फारेस्ट (वाइल्ड लाइफ) जेएडंके गर्वमेंट को लिखा। पत्र की कापी कंजरवेटर आफ फारेस्ट(वाइल्ड लाइफ) रीजनल वाइल्ड लाइफ वार्डन, जम्मू प्रोविंस और वाइल्ड लाइफ डिवीजन जम्मू को भी भेजी। लेकिन वन्य विभाग के अधिकारियों ने इस मसले को गंभीरता से लेने के बजाए आर्मी स्कूल रतनूचक की प्रिंसिपल को करीब डेढ़ माह बाद पूछा कि पहले नेचर पार्क और उसमें पल रहे जंगली जानवरों के बारे में बताए कि यह उनके पास कैसे आए? जिससे यह मामला अधर में लटक गया है। सुरक्षा के लिहाज से भी रतनूचक बिग्रेड काफी संवेदशनली है।
इस संबध में प्रिंसिपल चीफ कंजरवेटर आफ फारेस्ट जम्मू एडं कश्मीर सुरेश चुग का कहना है कि कानूनी तौर पर यह पूछना जरूरी होता है कि सेना के पास जानवर और नेचर पार्क बनाने की अनुमति किसने दी। इसके लिए सेना को सबूत देने होगें। फिर भी इस मसले पर विचार किया जाएगा और जो भी मुनासिब होगा मसले का समाधान निकाला जाएगा।
- सेव एनीमल वेल्यू एनवायरमेंट की चैयरपनर्सन रम्मी मदान का कहना है कि वाइल्ड लाइफ को चाहिए कि पहले जानवरों को अपने कब्जे में ले, उसके बाद सेना से कोई तकाजा करे। इसमें कोई दो राय नहीं कि वाइल्ड लाइफ के पास मांडा क्षेत्र में जम्मू जू है, लेकिन यहां जानवरों की परवरिश सही ढंग से नहीं हो पा रही है, ऐसे में जानवरों को सेना बाहरी राज्यों के चिड़ियाघरों में भेजने का प्रस्ताव पेश करती है तो वह उनकी मदद करेंगी।