जम्मू-कश्मीर: फारूक ने अलगाववादियों को केंद्र से बातचीत न करने की दी सलाह
कश्मीर में शांति और कश्मीर समस्या के स्थायी समाधान के लिए केंद्र और अलगाववादियों के बीच बातचीत के बन रहे माहौल को बिगाड़ते हुए डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने एक विवादास्पद बयान दिया है। तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके डॉ. अब्दुल्ला ने हुर्रियत समेत सभी कश्मीरी अलगाववादी संगठनों को केंद्र से बातचीत न करने की सलाह देते हुए कहा कि उन्हें कुछ नहीं मिलने वाला। जो राज्य को स्वायत्तता नहीं दे सकते, वह आजादी कैसे देंगे।
राज्य के प्रमुख विपक्षी दल नेशनल कांफ्रेंस के अध्यक्ष डॉ. फारूक अब्दुल्ला इस समय श्रीनगर संसदीय क्षेत्र का लोकसभा में प्रतिनिधित्व करते हैं। उन्होंने कहा कि हुर्रियत काफ्रेंस को केंद्र से बातचीत में कुछ नहीं मिलने वाला। केंद्र ने तो हमें संविधान द्वारा प्रदत्त स्वायत्तता नहीं दी है तो फिर वह आपको (हुर्रियत व अन्य अलगाववादी संगठन) क्या देगी।
विदित हो कि डॉ. फारूक अब्दुल्ला के शासन काल के दौरान वर्ष 2000 में राज्य विधानसभा में जम्मू कश्मीर के लिए स्वायत्तता का प्रस्ताव पारित किया गया था। उस समय केंद्र में प्रधानमंत्री पद पर अटल बिहारी वाजपेयी थे। केंद्र सरकार ने इस प्रस्ताव पर कोई कदम नहीं उठाया।
डॉ. फारूक अब्दुल्ला ने कहा कि केंद्र सरकार किसी भी तरह से अलगाववादियों संग बातचीत को लेकर गंभीर नहीं है। वह पहले भी कभी इस मसले पर बातचीत को लेकर गंभीर नहीं थी। यह जो अब बातचीत का शोर हो रहा है, यह सिर्फ समय काटने और खाली स्थान भरने की कवायद से ज्यादा कुछ नहीं है।
इस समय पूरी दुनिया से भारत पर कश्मीर में हालात सामान्य बनाने का दबाव बना हुआ है और इसलिए केंद्र सरकार बातचीत के लिए पेशकश कर रही है। यह एक जाल है, इसमें मत फंसो। बातचीत के लिए तभी आगे बढ़ना, जब केंद्र सरकार कोई ठोस प्रस्ताव लेकर सामने आए।
पूर्व मुख्यमंत्री ने अलगाववादियों को सलाह देते हुए कहा कि सिर्फ बातचीत के लिए बातचीत की प्रक्रिया में शामिल होने का कोई औचित्य नहीं है। मुझे नहीं लगता कि वे (भाजपा) आपको (अलगाववादी) कुछ देने के लिए तैयार हैं। उनके (केंद्र सरकार) इरादे सही नहीं हैं। वह सिर्फ आपको (अलगाववादी) बातचीत की मेज पर लाएंगे और आपकी विश्वसनीयता और छवि को बर्बाद कर आपको छोड़ देंगे।
केंद्र सरकार द्वारा कश्मीर मुद्दे पर बातचीत की पेशकश का हुर्रियत कांफ्रेंस समेत किसी भी कश्मीरी अलगाववादी संगठन ने अभी तक कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया है। अधिकांश अलगाववादी अपने घरों में नजरबंद हैं या फिर जेलों में बंद हैं।
उदारवादी हुर्रियत कांफ्रेंस के चेयरमैन मीरवाइज मौलवी उमर फारूक ने गत शुक्रवार को कहा कि केंद्र की बातचीत की पेशकश का जवाब देने में कोई जल्दबाजी नहीं होगी। इस पर सभी हुर्रियत नेता आपस में विचार विमर्श करेंगे और उसके बाद ही कोई फैसला लेंगे।