उत्तराखंड

बड़े भाई की मौत के बाद हुई धुन सवार; उगा दिया जंगल, जानिए

टिहरी राजशाही के खिलाफ आंदोलन कर रहे नागेंद्र दत्त सकलानी की गोली लगने के बाद हुई मौत ने छोटे भाई  विश्वेश्वर दत्त सकलानी को तोड़कर रख दिया। बड़े भाई की मौत के बाद उन पर पौधे लगाकर जंगल उगाने की ऐसी धुन सवार हुई कि उनका नाम इतिहास में दर्ज हो गया। इतिहासकारों की मानें तो अगर शोध किया जाए तो दुनिया में विश्वेश्वर दत्त सकलानी से ज्यादा पौधे किसी भी व्यक्ति ने शायद ही उगाए होंगे।  

विश्वेश्वर दत्त सकलानी का गत दिवस घर में निधन हो गया था। वर्ष 1922 में जौनपुर ब्लॉक की सकलाना पट्टी के पुजार गांव में कृपाराम सकलानी के घर में विश्वेश्वर दत्त सकलानी का जन्म हुआ। चार भाईयों में वह सबसे छोटे थे।

बचपन से ही विश्वेश्वर दत्त को प्रकृति से प्रेम था। इतिहासकार महिपाल सिंह नेगी बताते हैं कि विश्वेश्वर दत्त सकलानी के बड़े भाई नागेंद्र सकलानी टिहरी रियासत के खिलाफ आंदोलन के दौरान वर्ष 1948 में श्रीनगर के पास गोलीकांड में शहीद हो गए थे।

मात्र 28 वर्ष की उम्र में नागेंद्र सकलानी का निधन होने के बाद विश्वेश्वर दत्त सकलानी टूट गए और अपने भाई की याद में उन्होंने नागेंद्र स्मृति वन बनाने की ठानी और पौधे लगाने शुरू कर दिए।

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