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जानिये नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो की 13 खास बातें

नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच चलने वाली एक्वा लाइन मेट्रो (Aqua Line Metro) का उद्घाटन थोड़ी देर बाद सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे। फिर 26 जनवरी से मेट्रो की सेवाएं आम लोगों के लिए शुरू हो जाएंगी। 26 जनवरी की सुबह 10:30 से शाम 5:00 बजे तक चलेगी। इसके बाद अगले दिन यानी रविवार को सुबह 8 से रात 10 बजे तक चलेगी। हर रविवार को मेट्रो के चलने का समय यही रहेगा। बाकी दिन सुबह 6 से रात 10 बजे तक लोगों के लिए मेट्रो (Noida Metro) उपलब्ध रहेगी। आइये जानते हैं नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो की खूबियां। 

  • इस लाइन पर हर 15-15 मिनट में लोगों को मेट्रो उपलब्ध कराई जाएगी। अभी इस लाइन पर 12 मेट्रो से शुरुआत की जा रही है।
  • आने वाले समय में इस लाइन पर कुल 19 मेट्रो चलाई जाएंगी।
  • इस रूट पर हर मेट्रो 4-4 कोच की होगी। रविवार को मेट्रो की 112 और बाकी दिनों में 128 सर्विस रहेंगी।
  • पार्किंग में 35 हजार वाहनों के खड़े होने की व्यवस्था। इस लाइन के 21 में से 16 स्टेशनों पर पार्किंग की सुविधा रहेगी। सभी स्टेशनों पर करीब 35 हजार वाहन खड़े हो सकेंगे।
  • इस लाइन के 10 स्टेशनों की दीवारों पर कलाकृति होगी। कलाकृति के जरिए शहर की विशेषताएं, भारतीय संस्कृति को दर्शाया गया है। इनको कलाकृतियों का संग्राहलय नाम दिया है।
  • पहली मेट्रो ग्रेटर नोएडा डिपो से चलेगी। ग्रेटर नोएडा डिपो स्टेशन से नोएडा सेक्टर-51 तक पहुंचने में मुसाफिर को 48 मिनट का समय लगेगा। यह समय नार्मल मेट्रो ट्रेन से लगेगा।
  • एक्सप्रेस मेट्रो के जरिए 29.707 किलोमीटर की दूरी 25 मिनट में तय की जा सकेगी। यह मेट्रो कुछ बड़े ही स्टेशनों पर रुकेगी। मुसाफिरों के लिए स्टेशन पर ही वन सिटी वन कॉर्ड मिलेगा।
  • नोएडा-ग्रेटर नोएडा रूट शुरू होने के बाद पहली बार ग्रेटर नोएडा के प्रमुख सेक्टर और क्षेत्र मेट्रो से जुड़ जाएंगे। सेक्टर 34, सेक्टर 50, 51,78, 81, 83, दादरी रोड, 142, 144, 147,153, 149, केपी 1 व 2, परी चौक, अल्फा वन, डेल्टा वन आदि क्षेत्र मेट्रो से सीधे जुड़ेंगे। इससे नोएडा ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेस में ट्रैफिम में कमी आएगी।
  • निर्माण कास्ट के मामले में भी यह देश की सबसे सस्ती मेट्रो है। बाकी जगह मेट्रो लाइन के निर्माण पर न्यूनतम 170 से 180 करोड़ रुपये प्रति किमी खर्च हुए हैं, जबकि नोएडा-ग्रेटर नोएडा मेट्रो लाइन पर मात्र 150 से 160 करोड़ रुपये प्रति किमी खर्च हुआ है।
  • एक्वा मेट्रो को पर्यावरण हितैषी बनाने के लिए स्टेशन के डिजायन भी खासतौर से तैयार किए गए। स्टेशनों को घुमावदार न बनाकर सीधा रखा गया, ताकि स्टेशन की छत पर लगे सौर पैनल पर सूर्य की रोशनी पर्याप्त आए। सौर पैनल से कुल दस मेगावॉट बिजली उत्पादित होगी। यह बिजली मेट्रो के लिए ही उपयोग होगी।
  • एक्वा मेट्रो का निर्माण पिलर पर हुआ है। सफीपुर गांव के पास मेट्रो ट्रैक की ऊंचाई करीब-करीब भूमितल के बराबर है। गांव के समीप से 400 केवी की हाइटेंशन लाइन क्रास कर रही है। मेट्रो की ऊंचाई बढ़ने से लाइन को स्थानांतरित करना पड़ता है। इंजीनियरों ने अपने कौशल से यहां ट्रैक की ऊंचाई कम की। इससे एनएमआरसी को 120 करोड़ रुपये की बचत हुई।
  • नोएडा, ग्रेटर नोएडा मेट्रो के संचालन के बाद यहां के निवासियों को इसका सर्वाधिक लाभ होगा। इससे नोएडा व दिल्ली जाना काफी आसान हो जाएगा। अभी तक लोगों को निजी वाहन या रोडवेज की बसों का सहरा लेकर गंतव्य पर जाना पड़ता है। मेट्रो उनके सफर को और सुगम बना देगी। ग्रेटर नोएडा वासी पहले नोएडा और बाद में वहां से दिल्ली के लिए मेट्रो पकड़ सकते हैं।
  • परी चौक पर हर रोज लंबा जाम लगता है। शहर में किसी भी दिशा से आने वाले वाहन ग्रेटर नोएडा में प्रवेश के समय परी चौक से जरूर गुजरते हैं। वाहनों का दबाव बढ़ जाने की वजह से जाम लगता है। मेट्रो के संचालन के बाद लोग निजी वाहनों से आना जाना कम कर देंगे। इससे परी चौक पर वाहनों का दबाव भी कम होगा और जाम से निजात मिल सकेगी।

 

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