गणतंत्र दिवस पर पंजाब की तीन हस्तियों को प्रतिष्ठित पद्म पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है। राज्यसभा सदस्य व अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा को पद्मभूषण दिया जाएगा। 1984 के सिख विरोधी दंगों के पीड़ितों को इंसाफ दिलाने वाले पूर्व आप नेता एचएस फूलका और पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के वीसी बलदेव सिंह ढिल्लों को पद्मश्री से सम्मानित किया जाएगा।
शिरोमणि अकाली दल के नेता सुखदेव सिंह ढींडसा को पद्मभूषण और प्रसिद्ध वकील व आम आदमी पार्टी के विधायक रहे एचएस फूलका को पद्मश्री के अवॉर्ड से नवाजे जाने को लेकर राजनीतिक हलकों में नई चर्चा छिड़ गई है। दरअसल यह इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि शिरोमणि अकाली दल के वयोवृद्ध नेता सुखदेव सिंह ढींडसा लंबे समय से पार्टी से नाराज चल रहे हैं। वह पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा देकर घर बैठ गए हैं। वह अब पार्टी की किसी भी गतिविधि में हिस्सा नहीं ले रहे हैं। सुखदेव सिंह ढींडसा को उनके लंबे राजनीतिक जीवन के चलते पद्मभूषण से सम्मानित किया जाएगा।
एचएस फूलका को पद्मश्री दिए जाने के जरूर राजनीतिक मायने हैं। 1984 के सिख विरोधी दंगा पीडि़त इससे काफी खुश होंगे। आने वाले संसदीय चुनाव में सिख वोट बैंक को भाजपा की ओर लाने के लिए ऐसा प्रयास किया गया लगता है। फूलका लंबे समय से 1984 के दंगों के केस अदालतों में लड़ रहे हैं। उनको हाल ही में सज्जन कुमार को सजा दिलाने में सफलता मिली थी।
सबसे अहम बात यह भी है कि फूलका आम आदमी पार्टी से इस्तीफा देकर इन केसों की ओर ध्यान दे रहे हैं। पिछले दिनों उनके भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने संबंधी खबरें भी काफी चर्चा में रही थी, क्योंकि वह भाजपा के सीनियर नेता विजय गोयल से मिले थे।
सियासी माहिरों का मानना है कि ढींडसा को यह अवॉर्ड अकाली-भाजपा की तरफ से उनको शांत करने की कोशिश है। ढींडसा पिछले कई महीनों से बादल परिवार का विरोध कर रहे थे। वह कई बार अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल की अध्यक्षता पर भी अप्रत्यक्ष रूप से सवाल खड़े कर चुके हैं। बादलों के साथ-साथ ढींडसा केंद्र में भाजपा की मोदी सरकार पर भी पंजाब के किसानों और सिखों के साथ भेदभाव के आरोप लगाते रहे हैं। केंद्र सरकार की तरफ से अकाली सुप्रीमो प्रकाश सिंह बादल के बाद अब अकाली नेता सुखदेव सिंह ढींडसा को पद्म अवॉर्ड दिया गया है।
बादल परिवार ने की थी ढींडसा को अवॉर्ड की सिफारिश
अकाली दल के कुछ नेताओं का कहना है इस अवॉर्ड के लिए ढींडसा के नाम की सिफारिश पूर्व मुख्यमंत्री और शिअद के संरक्षक प्रकाश सिंह बादल ने की थी। बादल के अलावा केंद्रीय मंत्री हरसमिरत बादल और अकाली दल के प्रधान सुखबीर सिंह बादल ने भी ढींडसा को मनाने के लिए केंद्र सरकार के पास उनके नाम की सफारिश की थी। अब देखना होगा कि ढींडसा यह अवार्ड लेने के लिए राजी होते हैं या नहीं। एक तरफ जहां ढींडसा बादलों के खिलाफ तीखे तेवर दिखा रहे हैं, वहीं उनके पुत्र परमिंदर सिंह ढींडसा छोटे बादल की अध्यक्षता में अकाली दल में काम कर रहे हैं।
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प्लांट ब्रीडिंग और मक्की की रिसर्च ने दिलाया डॉ. ढिल्लों को पद्मश्री
पंजाब एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी (पीएमयू) के वाइस चांसलर और जाने माने कृषि वैज्ञानिक डॉ. बलदेव सिंह ढिल्लों ने देश के प्रतिष्ठित पद्मश्री अवॉर्ड के लिए चुने जाने को अपने जीवन का गौरवमयी क्षण बताया है। डॉ. ढिल्लों ने कहा कि कुछ समय पहले ही उन्हें इस प्रतिष्ठित पद के लिए उनके चयन की जानकारी मिली है। यह सम्मान मुझे नहीं, बल्कि पीएयू की पूरी टीम को मिला है।
डॉ. ढिल्लों ने राज्यपाल और मुख्यमंत्री का भी शुक्रिया अदा किया, जिन्होंने उनका नाम इस अवॉर्ड के लिए अनुमोदित किया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान भविष्य में ज्यादा रिसर्च करने के लिए प्रेरित करेगा। उल्लेखनीय है कि प्लांट ब्रीडिंग और मक्की की रिसर्च के लिए डॉ. ढिल्लों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान है।
पीएयू के वाइस चांसलर बनने से पहले डॉ. ढिल्लों ने डायरेक्टर रिसर्च, डायरेक्टर सीड्स, सीनियर मेज ब्रीडर के अलावा इंडियन काउंसिल आफ एग्रीकल्चर रिसर्च के रूप में देश को अपनी सेवाएं प्रदान कर चुके हैं। पीएयू से पहले वह जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ होहेनहेम और मेक्सिको की साइंटिस्ट ऑफ इंटरनेशनल मेज एंड व्हीट में भी कार्य कर चुके हैं।