उसकी थी 2-2 बीवियां, पति के कारनामे से दोनों थीं बेखकर; ऐसे खुला राज
पहली पत्नी ने बेटी को जन्म दिया तो युवक ने अपनी ही कंपनी की काउंसलर को धोखे में रखकर दूसरी शादी कर ली। एक साल बाद जब उन्होंने भी बेटी जन्मी तो घर से निकाल दिया गया। आरोप है कि ससुरालियों ने मायके में आकर उन पर जानलेवा हमला भी किया। दो साल महिला थाने में काउंसिलिंग हुई, जिसके बाद सोमवार को पीड़िता ने कविनगर थाने में मुकदमा दर्ज कराया।
राजनगर की एक कॉलोनी में रहने वाली महिला ने बताया कि वह साल 2016 में आरडीसी की फाइनेंस कंपनी में कॉउंसलर की जॉब करती थीं। इसी दौरान कंपनी के मालिक से उनकी दोस्ती हो गई। आरोप है कि युवक ने खुद को अविवाहित बताते हुए गाजियाबाद में उनसे शादी का रजिस्ट्रेशन कराया। बाद में रीति-रिवाज के साथ शादी हुई, जिसमें जल निगम में काम करने वाले महिला के पिता ने लाखों रुपये के गिफ्ट भी दिए।
शादी के कुछ समय बाद ही आरोपित ने कंपनी बंद कर दी और महिला को लेकर मेरठ के खरखौदा स्थित अपने गांव जाकर रहने लगा। पीड़िता ने बताया कि 25 मार्च 2017 को उन्होंने बेटी को जन्म दिया तो तुरंत ही सास ने उनसे गाली-गलौज करनी शुरू कर दी। इसी दौरान पता चला कि उसके पति की दूसरी शादी हो रखी है। पहली पत्नी से बेटी होने के बाद बेटे की चाहत में दूसरी शादी की गई।
बेटी के जन्म के 10 दिन बाद ही पीड़िता को घर से निकाल दिया गया। छह माह बाद वह दोबारा गईं, लेकिन ससुरालियों ने उनका उत्पीड़न किया। कविनगर थाने में मुख्य आरोपित, उसकी मां, भाई, भाभी, चचेरा भाई और पहली पत्नी के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है।
बेटी पालने को दोबारा नौकरी की
पीड़िता ने बताया कि उन्होंने महिला थाने में शिकायत की थी, जिसके बाद काउंसलिंग की गई, मगर अधिकतर काउंसलिंग पर आरोपित पति नहीं आया। आरोप है कि काउंसलिंग के दौरान आई पहली पत्नी ने भी आरोपित का ही पक्ष लिया, जिस कारण पीड़िता ने परेशान होकर कविनगर थाना पुलिस से गुहार लगाई।
पीड़िता का कहना है कि नवंबर-2017 में ससुरालियों ने मायके में आकर उनसे मारपीट की। मायके में रह रही पीड़िता बेटी को पालने के लिए दोबारा नौकरी करने लगी, क्योंकि लकवाग्रस्त होने के कारण पिता को नौकरी छोड़नी पड़ गई थी। आरोपितों ने न तो उनके गिफ्ट्स लौटाए और न ही उन्हें भत्ता दिया।