मुंह में उलझा जाल घड़ियाल और रेस्क्यू टीम के लिए बना जी का जंजाल
कलियासोत डैम का एक घड़ियाल अपने मुंह में उलझे जाल के कारण पांच दिन से परेशान है, तो रेसक्यू दल घड़ियाल को जाल से मुक्त करने के लिए हैरान है। वन विभाग, जल संसाधन, नगर निगम और मछुआरों की संयुक्त टीम ने गुरुवार को डैम पर सुबह 10 बजे डेरा डाल दिया था। टीम जैसे ही जाल के साथ डैम में उतरी तो दूसरी ओर किनारे पर बैठा घड़ियाल सतर्क हो गया।
टीम ने चारों ओर से घड़ियाल को घेर भी लिया, लेकिन 100 फीट लंबा व 50 फीट चौड़ा जाल भी छोटा पड़ गया और घड़ियाल चकमा देकर जाल से निकल भागा। टीम ने दोपहर 12 बजे दूसरा प्रयास किया। घड़ियाल ने इस डैम की गहराई में डुबकी लगा दी और टीम को फिर खाली जाल समेटना पड़ा। अब टीम शुक्रवार को दोगुना बड़ा जाल लेकर डैम में उतरेगी। मुंह में उलझा जाल घड़ियाल और रेस्क्यू टीम के लिए पांचवे दिन भी जी का जंजाल बना रहा।
मुंह नहीं खोल पा रहा घड़ियाल
वन विभाग ने दूरबीन से घड़ियाल के मुंह में उलझा जाल देखा, जिसमें घड़ियाल का मुंह बुरी तरह कसा हुआ है। वन्य प्राणी विशेषज्ञ और रिटायर्ड कंजरवेटर फॉरेस्ट एके बरोनिया के मुताबिक जाल के कारण घड़ियाल मुंह नहीं खोल पा रहा होगा, यानी कई दिनों से भूखा होगा। यही स्थिति बनी रही तो घड़ियाल कमजोर हो जाएगा और डैम में दूसरे जलीय जीव उस पर हमला भी कर सकते हैं। ऐसे में उसकी मौत हो सकती है, इतना ही नहीं किनारे पर बैठे रहने से शिकारी भी उसे जाल में फांस सकते हैं। घड़ियाल के लिए यह मुसीबत बन सकते हैं।
डैम में 20 से 25 घड़ियाल और मगरमच्छ
कलियासोत डैम में करीब 20 से 25 घड़ियाल और मगर मगरमच्छ हैं। इनका संरक्षण भगवान भरोसे है, क्योंकि डैम में घड़ियाल और मगरमच्छ के संरक्षण को लेकर शासन की तरफ से कोई अलग प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। यही वजह है कलियासोत डैम में घड़ियाल और मगरमच्छ होने के बावजूद जल संसाधन विभाग ने यहां मछली पकड़ने का ठेका दे रखा है। मछुआरे मछली पकड़ने के लिए आए दिन जाल डालते हैं, कई बार तो मछुआरे जाल डालकर शाम को घर चले जाते हैं। इन जालों में मगरमच्छ और घड़ियाल उलझ जाते हैं। जाल में फंसे इस घड़ियाल के साथ भी ऐसा ही हुआ है।
पुख्ता इंतजाम के साथ शुरू करेंगे अभियान
शुक्रवार को पुख्ता इंतजाम के साथ घड़ियाल को पकड़ने के लिए अभियान शुरू करेंगे। इसके लिए पर्याप्त लंबे और चौड़े जाल मंगा लिए हैं। अन्य विभागों की टीम भी मौजूद रहेगी। घड़ियाल को कोई खतरा न हो इसलिए 24 घंटा उसकी मॉनिटरिंग की जा रही है।