मध्य प्रदेश

‘किसान’ पर सरकारें ऐसी मेहरबान कि धान खरीद में कर दिया दो-दो बार भुगतान

इन दिनों सियासत के केंद्र में चल रहे किसानों पर सभी राज्य-केंद्र की सरकारें मेहरबान हैं। पर मध्यप्रदेश सरकार कुछ ज्यादा ही मेहरबान है। साफ्टवेयर में हुई गड़बड़ी के कारण प्रदेश में हुई धान खरीदी में कई जगह उन्हें दो-दो बार भुगतान कर दिया गया।

किसानों को फसल बेचने पर पेमेंट जल्द मिले इसके लिए राज्य सरकार ने नेशनल इन्फॉरमेशन सेंटर (एनआईसी) से ‘जस्ट इन टाईम” ऑनलाइन साफ्टवेयर तैयार कराया था। एनआईसी को ही जिम्मेदारी दी थी कि फसल खरीदी के बाद जब सोसायटी द्वारा सत्यापन के बाद उसका ई-पेमेंट आर्डर जारी किया जाएगा तो एजेंसी किसान के खाते में पैसे ट्रांसफर कर देगी। हालांकि यह प्रयोग भी सफल नहीं रहा क्योंकि किसानों को कई दिनों बाद रकम पहुंच रही है।

दरअसल, किसानों को दो-दो बार भुगतान किए जाने की जानकारी पन्ना जिले में सबसे पहली बार पकड़ में आई। पन्ना जिले की ककरहटी सोसायटी में पहली बार किसानों को 12 दिसंबर को राशि दी गई। फिर 29 दिसंबर को भी दोबारा रकम ट्रांसफर कर दी गई। नागरिक आपूर्ति निगम पन्ना के मैनेजर को जैसे ही इस गड़बड़ी का आभास हुआ तो उन्होंने एनआईसी को सूचना दी।

उन्होंने बताया कि जस्ट इन टाईम साफ्टवेयर में डिजीटल हस्ताक्षर से क्लेम की गई रकम एवं धान के जारी ई-पेमेंट आर्डर में पौने चार करोड़ रुपए का अंतर आ रहा है। इसके लिए मैनेजर ने साफ्टवेयर की गलती को जिम्मेदार बताया। इसके बाद पूरे प्रदेश में छानबीन कराई जा रही है कि कहां-कहां किसानों को दो बार रकम दी गई।

मुश्किल हुई रिकवरी

अब किसानों से दो बार किए गए भुगतान की राशि वसूलना सरकार के लिए मुश्किल हो रहा है। एक महीने पहले जहां से ज्यादा पेमेंट की जानकारी आई थी अभी तक उसका हल नहीं निकला है। इधर एनआईसी के अधिकारी सुनील जैन से इस बारे में पूछताछ करने पर बताया कि जब सोसायटी ने बताया कि किसानों के ई-पेमेंट असफल हो गए हैं। उनके खाते में पैसा नहीं पहुंचा या उनके खाते की गलत जानकारी के कारण पेमेंट नहीं पहुंच पाया या सरकार के खाते में पैसा न होने से पैसा ट्रांसफर नहीं हुआ, उन हालात में दोबारा पेमेंट किया गया। इसमें सिस्टम की कोई गलती नहीं है। छानबीन कर रहे हैं। बैंक को भी किसानों की रकम होल्ड करने का बोल दिया है। पर यह सोसायटी के दोबारा सत्यापन करने के कारण हुआ है।

गड़बड़ी रोकने बनाया था साफ्टवेयर

हालांकि धान खरीद या अन्य फसल खरीद में होने वाली धांधली को रोकने के लिए ही सरकार ने यह साफटवेयर बनवाया था पर हुआ उल्टा।

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