HC के फैसले को AJL ने डबल बेंच में दी चुनौती, 23 फरवरी को होगी सुनवाई
नेशनल हेराल्ड मामले में एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (AJL) ने सिंगल बेंच के आदेश को दिल्ली हाई कोर्ट की डबल बेंच में चुनौती दी है। डबल बेंच में लगाई गई याचिका में 21 दिसंबर के फैसले पर तुरंत रोक लगाने की मांग की गई है। साथ ही याचिका में कहा गया है कि न्याय के हित में इमारत खाली करने के आदेश पर रोक लगाना जरूरी है। रोक नहीं लगी तो ये कभी न पूरा होने वाला नुकसान होगा। एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड की याचिका पर अब 23 फरवरी को सुनवाई होगी।
यहां पर बता दें कि कांग्रेस को दिल्ली हाई कोर्ट से 21 दिसंबर को बड़ा झटका लगा था। कोर्ट ने कांग्रेस पार्टी के मुखपत्र नेशनल हेराल्ड के दिल्ली स्थित दफ्तर को खाली करने के केंद्र के आदेश को चुनौती देने वाली एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) की याचिका खारिज कर दी थी। इसी के साथ ही हाई कोर्ट ने दो सप्ताह में हेरल्ड हाउस खाली करने का आदेश दिया था। एजेएल पर आरोप था कि पिछले 10 साल से इमारत में नेशनल हेराल्ड अखबार के प्रकाशन का काम नहीं हो रहा था। एजेएल के लिए हाई कोर्ट की डबल बेंच और सुप्रीम कोर्ट में अपील का विकल्प था, जिसका उन्होंने इस्तेमाल किया।
सुनवाई के दौरान केंद्र और भूमि एवं विकास कार्यालय (एलडीओ) ने कहा था कि 10 साल से परिसर में कोई प्रेस इकाई काम नहीं कर रही है और इसका पट्टा समझौते का उल्लंघन करके केवल वाणिज्यिक उद्देश्यों से इस्तेमाल किया जा रहा था। एजेएल ने हाई कोर्ट में याचिका दायर कर आरोपों को खारिज किया था।
न्यायमूर्ति सुनील गौर ने 56 साल पुराना पट्टा समाप्त करने के केंद्र के 30 अक्टूबर के आदेश को चुनौती देने वाली अपील खारिज करते हुए फैसला सुनाया था कि एजेएल दो सप्ताह में आइटीओ स्थित परिसर को खाली करे। उसके बाद अनधिकृत कब्जाधारियों को बेदखल करने की प्रक्रिया शुरू होगी। वहीं, एजेएल ने कहा था कि 2016 में वेब संस्करण शुरू किया गया था। अप्रैल 2018 तक सरकार शांत रही और फिर निरीक्षण के लिए नोटिस भेजा। कई बड़े अखबार अन्य स्थानों पर प्रिंटिंग का काम करते हैं।
यह है मामला
एजेएल नेशनल हेराल्ड अखबार की मालिकाना कंपनी है। कांग्रेस ने 26 फरवरी 2011 को इसकी 90 करोड़ की देनदारी अपने जिम्मे ले ली थी। यानी कंपनी को 90 करोड़ का लोन दिया। इसके बाद पांच लाख में यंग इंडियन कंपनी बनाई गई, जिसमें सोनिया व राहुल की हिस्सेदारी 38-38} व शेष कांग्रेस नेता मोतीलाल वोरा व ऑस्कर फर्नाडीज के पास है। बाद में एजेएल के 10-10 रुपये के नौ करोड़ शेयर यंग इंडियन को दिए गए। बदले में यंग इंडियन को कांग्रेस का लोन चुकाना था। नौ करोड़ शेयर के साथ यंग इंडियन को कंपनी के 99} शेयर हासिल हो गए। इसके बाद कांग्रेस ने 90 करोड़ का लोन माफ कर दिया। यानी यंग इंडियन को मुफ्त में एजेएल का स्वामित्व मिल गया।
दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड हाउस को खाली कराने से जुड़ी याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को अपना फैसला सुना दिया है। जस्टिस सुनील गौर की पीठ ने अपने फैसले में दो सप्ताह का समय देते हुए नेशनल हेराल्ड हाउस को खाली करने के लिए कहा है।
बता दें कि नेशनल हेराल्ड की कंपनी एसोसिएट जर्नल्स लिमिटेड (एजेएल) ने दिल्ली हाई कोर्ट में याचिका दायर कर नेशनल हाउस हाउस की लीज रद करने के फैसले को चुनौती दी थी।
इससे पहले केंद्र सरकार की तरफ से पेश हुए तुषार मेहता ने कहा था कि इंडियन एक्सप्रेस बिल्डिंग से जुड़ा आदेश इस मामले में गलत तरीके से कोड किया गया है। उन्होंने तर्क दिया था कि पब्लिक प्रॉपर्टी को जिस वजह से दिया गया, वह हेराल्ड हाउस में कई सालों से किया ही नहीं जा रहा है। ऐसे में यह कहना पूरी तरह से गलत है कि नेहरू की विरासत को खत्म करने की कोशिश है। उन्होंने बताया था कि हेराल्ड हाउस की लीज रद करने से पहले कई बार नोटिस दिया गया था।
नेशनल हेराल्ड मामले में सोनिया गांधी और राहुल गांधी की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही है। इससे पहले 10 सितंबर को दिल्ली हाई कोर्ट ने भी 2011-12 के टैक्स आकलन के मामले को दोबारा खोले जाने के मसले में दोनों नेताओं को राहत देने से साफ इनकार कर दिया था। हाई कोर्ट ने कहा था कि टैक्स संबंधी पुराने मामलों की आयकर विभाग फिर से जांच कर सकता है।
बता दें कि हाई कोर्ट के इस फैसले को दोनों नेताओं ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। दोनों ने नेशनल हेराल्ड और यंग इंडिया से जुड़े टैक्स एसेसमेंट की दोबारा जांच के आयकर विभाग के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी। गौरतलब है कि राहुल और सोनिया के खिलाफ आयकर जांच का मुद्दा भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने उठाया था।
क्या है नेशनल हेराल्ड
नेशनल हेराल्ड भी उन अखबारों की श्रेणी में है, जिसकी बुनियाद आजादी के पूर्व पड़ी। हेराल्ड दिल्ली एवं लखनऊ से प्रकाशित होने वाला अंग्रेजी अखबार था। 1938 में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने नेशनल हेराल्ड अखबार की नींव रखी थी। इंदिरा गांधी के समय जब कांग्रेस में विभाजन हुआ तो इसका स्वामित्व इंदिरा कांग्रेस आई को मिला। नेशनल हेराल्ड को कांग्रेस का मुखपत्र माना जाता है। आर्थिक हालात के चलते 2008 में इसका प्रकाशन बंद हो गया। उस वक्त वह कांग्रेस की नीतियों के प्रचार प्रसार का मुख्य स्रोत था।