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अपने मृत साथी को ज़िंदा कर आम रविदास बने थे संत रविदास

आप सभी को बता दें कि आज संत रविदास जयंती है. सभी इस बात से वाकिफ ही होंगे कि संत रविदास जयंती हिन्दू कैलेंडर के अनुसार माघ महीने की पूर्णिमा पर मनाई जाती है और आज माघ पूर्णिमा भी है. ऐसे में इस बार ये दिन मंगलवार, 19 फरवरी को यानी आज है और इस वर्ष संत रविदास का 642 वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है. ऐसे में हम आप सभी को बता दें कि संत रविदास जी का जन्म वाराणसी के पास के गांव में हुआ था और मान्यता है कि इनका जन्म लगभग सन 1450 में हुआ था. कहते हैं उनकी माता का नाम श्रीमति कलसा देवी और पिता का नाम श्रीसंतोख दास जी था और संत रविदास जी ने हमेशा लोगों को बिना भेदभाव के आपस में प्रेम करने की शिक्षा दी. ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि रविदास जी कैसे बने संत.

रविदास कैसे बने संत रविदास- जी दरअसल इसके पीछे एक कथा है जो इस प्रकार है. कहते हैं रविदास जी अपने साथी के साथ खेल रहे थे. एक दिन खेलने के बाद अगले दिन वो साथी नहीं आता है तो रविदास जी उसे ढूंढ़ने चले जाते हैं, लेकिन उन्हे पता चलता है कि उसकी मृत्यु हो गई. ये देखकर रविदास जी बहुत दुखी हो जाते हैं, लेकिन वो अपने मित्र को बोलते हैं कि उठो ये समय सोने का नहीं है, मेरे साथ खेलो.

इतना सुनकर उनका मृत साथी खड़ा हो जाता है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि संत रविदास जी को बचपन से ही आलौकिक शक्तियां प्राप्त थी. लेकिन जैसे-जैसे समय निकलता गया उन्होंने अपनी शक्ति भगवान राम और कृष्ण की भक्ति में लगाई. इस तरह धीरे-धीरे लोगों का भला करते हुए वो संत बन गए.

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