केटामाइन ड्रग्स के अंतरराष्ट्रीय गिरोह के सदस्य को खलघाट से पकड़ा
इंदौर। डेट रेप ड्रग के तौर पर पहचानी जाने वाली सिंथेटिक ड्रग का अब तक सबसे बड़ा जखीरा मुंबई से बरामद हुआ है। तस्करी के अंतरराष्ट्रीय गिरोह से जुड़े एक सदस्य को इंदौर के पास खलघाट से गिरफ्तार किया गया है। तीन राज्यों में एक साथ कार्रवाई को अंजाम दिया गया। कार्रवाई में डीआरआई इंदौर के साथ अहमदाबाद और मुंबई की टीम भी शामिल थी। ऑपरेशन में कुल 308 किलो केटामाइन तो पकड़ी गई है साथ ही तीन विदेशी तस्कर भी गिरफ्तार हुए हैं। सिंथेटिक ड्रग के साथ ही इनके पास से हेरोइन, अफीम और कोकीन भी बरामद हुई।
डायरोक्टरेट रेवेन्यू इंटेलीजेंस (डीआरआई) की इंदौर रीजनल यूनिट के अधिकारियों के मुताबिक गोवा से ड्रग्स के साथ दो ब्रिटिश व एक वियतनामी मूल के तस्करों को पकड़ा गया था। इसके बाद सिंथेटिक ड्रग बनाने वाले बड़े रैकेट का खुलासा हुआ। बड़े ऑपरेशन को अंजाम देते हुए मुंबई के पास एक फैक्ट्री पकड़ी गई। इसी के बाद अलग-अलग जगहों से कुल 308 किलो केटामाइन ड्रग के साथ ही करीब दो हजार किलो इसका रॉ मटेरियल भी पकड़ा गया। बरामद नशीली दवा की अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कीमत 27 करोड़ रुपए से ज्यादा बताई जा रही है।
तस्करी गिरोह के सदस्य ड्रग्स को गोवा, गुजरात, महाराष्ट्र में खपाने के साथ वहां से यूके और कैनेडा तक स्मगल करते थे। अब तक कुल 10 लोगों की गिरफ्तारी हो चुकी है। नशे की तस्करी के इस गिरोह से जुड़े एक व्यक्ति को इंदौर के पास खलघाट से पकड़ा गया। मयूर सरदानी नामक यह शख्स मूलत: गुजरात के कालोल कस्बे का रहने वाला है। मुंबई-गोवा में हुई कार्रवाई के बाद यह छिपता-छुपाता इंदौर पहुंच रहा था। इसी डीआरआई को मिली गोपनीय सूचना के बाद इसे मंगलवार रात खलघाट स्थित जैन ढाबे से गिरफ्तार कर लिया गया।
खलघाट से पकड़ा गया मयूर तस्करी के इस अंतरराष्ट्रीय गिरोह के लिए कोरियर का काम करता था। यह कच्चेमाल को केटामाइन में तब्दील कर उसे अलग-अलग जगह सप्लाय करता था। इसके बदले उसे मोटा कमीशन मिलता था। गिरफ्तारी के बाद इंदौर डीआरआई की टीम ट्रांजिट रिमांड पर उसे मंुबई ले गई। फिलहाल मयूर को मंुबई के ऑर्थर रोड जेल में रखा गया है। कार्रवाई अस्सिटेंट डायरेक्टर डीआरआई इंदौर साईं कृष्ण हटंगड़ी की अगुवाई में हुई। डीआरई अकिारी नवीन सोनी, वीके शर्मा, गौरव तिवारी व एजाज खान की टीम ने कार्रवाई को अंजाम दिया।
50 हजार से बनाते थे 9 लाख
दवा निर्माण के नाम पर कच्चा माल खरीदकर उससे स्लरी यानी एक घोल बनाया जाता था। बाद में अलग-अलग जगह रिफाइन कर केटामाइन नामक ड्रग का पावडर तैयार किया जाता है। 10 किलो स्लरी से 1 किलो ड्रग बनती है। कुल 50 हजार का निवेश कच्चे माल समेत तमाम चीजों पर कर तस्कर ड्रग्स को बेचकर लगभग 9 लाख रुपए कमा लेते थे। चाय के पैकेट में भरकर इसे विदेश भेजा जाता था।
ऐसी है ड्रग्स
– केटामाइन एक एनेस्थेटिक दवा है जिसका उपयोग वेटेनरी मेडिसीन में किया जाता है।
– रेव पार्टी में नशे के तौर पर इसका उपयोग होता है।
– इसे डेट रेप ड्रग भी कहा जाता है।
– अन्य ड्रग्स व शराब के साथ मिलाकर भी इसका सेवन किया जाता है।