दिल्ली-NCR में शुरू हुई झमाझम बारिश, गिर सकते हैं ओले
मौसम इस सप्ताह राजधानी दिल्ली के साथ एनसीआर के लोगों को भी फिर से परेशान करेगा। मौसम विभाग के मुताबिक, इस सप्ताह बारिश और ओलावृष्टि के आसार हैं। इसमें सोमवार को दोपहर बाद हल्की बारिश शुरू हो गई। इससे पूरे दिल्ली समेत एनसीआर का मौसम सुहावना हो गया है। वहीं मंगलवार (26 फरवरी) को तेज बारिश की संभावना है। इस दिन आंधी के साथ ओले भी पड़ सकते हैं और हवा की गति 30 से 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रहेगी। इससे राजधानी दिल्ली के लोगों के साथ-साथ एनसीआर के निवासियों की परेशानी भी बढ़ सकती है।
मौसम विभाग ने सोमवार को हिमाचल प्रदेश में भारी बर्फ़बारी की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग ने येलो वार्निंग भी जारी की है। इसके मुताबिक, 26 फरवरी को हिमाचल प्रदेश के कई ज़िलों में बर्फ़बारी और बारिश होगी।
वहीं मौसम विभाग के मुताबिक, 27 फरवरी एवं एक और दो मार्च के दिन भी बारिश होने का अनुमान है। इस बीच अधिकतम तापमान 20 से 22 डिग्री के आसपास रह सकता है। न्यूनतम तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद है। रविवार को अधिकतम तापमान सामान्य से दो डिग्री कम के साथ 23.2 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ।
वहीं न्यूनतम तापमान 11.8 डिग्री सेल्सियस दर्ज हुआ, जो सामान्य से एक डिग्री ज्यादा रहा। हवा में नमी का अधिकतम स्तर 90 फीसद दर्ज हुआ। वहीं न्यूनतम स्तर 37 फीसद दर्ज हुआ। सोमवार को हल्की बारिश होने की उम्मीद है। अधिकतम तापमान 22 डिग्री एवं न्यूनतम तापमान 11 डिग्री रहने का अनुमान है।
मौसम में बदलाव की यह है वजह
स्काइमेट के मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत ने बताया कि उत्तर भारत में एक नया पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हो गया है। इसकी वजह से ही मौसम में परिवर्तन आ रहा है। इस विक्षोभ के चलते उत्तर की दिशा से दिल्ली की तरफ ठंडी हवा दस्तक दे रही है । इससे हवा के साथ नमी बढ़ रही है, जो कि इस सप्ताह बारिश की संभावना को बढ़ा रही है और मंगलवार को ओलावृष्टि के आसार हैं।
मौसम का हाल
- 25 से 27 फरवरी तक एवं एक से दो मार्च तक मौसम विभाग के पुर्वानुमान के अनुसार दिल्ली में बारिश के आसार
- 20 से 22 डिग्री अधिकतम तापमान और न्यूनतम तापमान 10 से 12 डिग्री सेल्सियस रहने की उम्मीद
काबू में ही रहेगा प्रदूषण
महेश पलावत ने बताया कि इस हफ्ते प्रदूषण बेहद खतरनाक स्तर पर नहीं पहुंचेगा। हवा तेज गति से चलेगी। साथ ही बारिश होने के कारण प्रदूषित कण वातावरण में ज्यादा दर्ज नहीं होंगे। एयर क्वालिटी इंडेक्स ( Air Quality Index) के मुताबिक, दिल्ली के लोधी रोड एरिया में सोमवार को पीएम 2.5 का स्तर 98 तो पीएम 10 का स्तर 118 रहा, जिसे राहत भरा माना जाता है।
यहां पर बता दें कि 8 फरवरी को दिल्ली के साथ नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद में अभूतपूर्व अोला वृष्टि को लेकर भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) कई कारण गिनाए थे। स्काइमेट के मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत के मुताबिक, पिछले एक दशक में इतनी ओलावृष्टि नहीं हुई थी।
दिल्ली-एनसीआर में अभूतपूर्व अोला वृष्टि को लेकर भारतीय मौसम विभाग (India Meteorological Department) कई कारण गिनाए थे। मौसम विभाग (IMD) के क्षेत्रीय केंद्र के निदेशक बीपी यादव की मानें तो सर्दियों के दौरान बारिश और ओले पड़ना एक सामान्य बात है, इसमें कुछ भी नई बात नहीं है। वहीं, इतनी अधिक मात्रा में अोले पड़ने पर बीपी यादव ने बताया कि अलग-अलग दिशाओं से आने वाली हवाओं के मेल ने दिल्ली के साथ गुरुग्राम, फरीदाबाद, नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गाजियाबाद में मौसम का मिजाज बिगाड़ दिया और यहां जमकर ओले गिरे थे।
इस कारण गिरते हैं ओले
मौसम वैज्ञानिक महेश पलावत ने बताया कि नदियों, समुद्र आदि का पानी भाप बनकर ऊपर उठता रहता है, जिससे बादल बनते हैं। यही बादल समय-समय पर बरसते हैं, लेकिन जब आसमान में करीब 3 किलोमीटर ऊपर तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है, तो वहां मौजूद पानी की छोटी-छोटी बूंदें जमने लगती हैं। जमी हुई बूंदों पर धीरे-धीरे और पानी जमने लगता है जो बर्फ के गोल टुकड़ों का रूप ले लेते हैं। इन टुकड़ों का वजन अधिक हो जाता है तो नीचे गिरने लगते हैं। ये बड़े बर्फ के टुकड़े नीचे आते आते छोटा रूप ले लेते हैं, जिन्हें ओले कहा जाता है।
ओले कैसे बनते हैं और क्यों गिरते हैं?
आपने देखा होगा बारिश की बूंदों के साथ-साथ कई बार अचानक से ओले या फिर बर्फ के छोटे-छोटे टुकड़े गिरने लगते हैं. इन्हें हेल स्टोर्म (Hail Storm) भी कहते हैं। परन्तु क्या आपने कभी सोचा है कि ओले कैसे बनते हैं, इनका आकार गोल क्यों होता है, अचानक से ये धरती पर क्यों गिरने लगते हैं. आइये इस लेख के माध्यम से अध्ययन करते हैं।
ओले कैसे बनते हैं?
ये हम सब जानते हैं कि बर्फ पानी की ही एक अवस्था है जो कि पानी के जमने से बनती है। जब भी पानी का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या इससे कम हो जाता है तो वह बर्फ बन जाता है।
समुद्र तल की अपेक्षा जैसे-जैसे हम उंचाई की और बढ़ते है, तो तापमान धीरे -धीरे कम होता जाता है, इसलिए तो पहाड़ों पर ठंडक रहती है या तापमान कम होता है। लद्दाख में तो इतनी ठंड पड़ती है कि वहां हमेशा पानी बर्फ के रूप में होता है, क्योंकि यह काफी ऊचाई पर स्थित है। वाष्पोत्सर्जन की प्रक्रिया के बारे में तो आप जानते ही होंगे। इस प्रक्रिया के कारण नदियों, तालाबों, समूद्रों आदि का पानी भाप बनकर आसमान में वर्षा का बादल बनाता है और यही बादल पानी बरसाते हैं।
जब आसमान में तापमान शून्य से कई डिग्री कम हो जाता है तो वहां मौजूद हवा में नमी सेंघनित यानी पानी की छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जम जाता है। इन जमी हुई बूंदों पर पानी और जमता जाता है और धीरे-धीरे ये बर्फ के टुकड़े या बर्फ के गोलों का रूप धारण कर लेता हैं तो इन्हीं को ही ओले कहते हैं।
जब ये गोले ज्यादा वजनी हो जाते हैं या इन टुकड़ों का वजन काफी अधिक हो जाता है तो आसमान से धरती पर गिरने लगते हैं। जब ये ओले गिर रहे होते हैं तो उस समय गर्म हवा से टकरा कर बूंदों में बदल जाते हैं और ये पिघलने लगते हैं और पानी की बूंदों में बदल जाते हैं जो कि बारिश के रूप में नीचे गिरते हैं, लेकिन जो बर्फ के टुकड़े अधिक मोटे होते हैं वो पिघल नहीं पाते हैं और नीचे धरती पर छोटे-छोटे गोल टुकड़ों के रूप में गिर जाते हैं.इन्हीं बर्फ के टुकड़ों को ओले ही तो कहते हैं।
ओले आसमान में तापमान शून्य के कम होने के कारण वहां मौजूद हवा में नमी छोटी-छोटी बूंदों के रूप में जम जाती है और इन बूंदों पर पानी जमता ही रहता है फिर धीरे -धीरे बर्फ के गोले बन जाते हैं। जब ये गोले वजनी हो जाते हैं तो आसमान से नीचे गिरने लगते हैं।