शराब दुकानों की लॉटरी से आबकारी विभाग को 1,003 करोड़ का हुआ फायदा
नई आबकारी नीति में आवेदन के साथ अमानत राशि की बाध्यता की समाप्ति का पासा फेंकने और रातों-रात शराब कारोबारियों के हित में नीति में संशोधन के बाद सरकार का खजाना छलका मगर आवेदन की तिथि बढ़ाने का ज्यादा फायदा नहीं हुआ. विभाग को इस बार भी आवेदन शुल्क से करीब 1003 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है. राज्य के अलग-अलग जिलों में बंदोबस्त के लिए लॉटरी निकाली गई. जिसके नाम से लॉटरी निकली उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा, वहीं जिन लोगों का लॉटरी में नाम नहीं आया उन्हें मायूस होना पड़ा.
किसी ने बजरंग बलि के जयकारे लगाए तो किसी ने अपने ईष्ट को याद किया. कुछ ऐसा ही नजारा दिखा मदिरा की दुकानों की लॉटरी के समय. ज्यादातर आवेदक लॉटरी निकलने से पहले भगवान को दिल से याद करते हुए नजर आए. राज्य की 7,665 दुकानों में से 7,616 दुकानों का आवंटन सभी जिला मुख्यालयों पर लॉटरी से किया गया. लॉटरी निकालने से पहले आवेदक अपने ईष्ट को याद करते हुए नजर आए तो कुछ आवेदकों ने ईष्ट के जयकारे लॉटरी स्थल पर लगा दिए. आबकारी विभाग ने 7,665 दुकानों के लिए आवेदन मांगे गए थे लेकिन 49 देशी शराब दुकानों के आवेदन नहीं मिले. इनके लिए अब पुन: आवेदन मांगे जाएंगे.
प्रदेशभर में 7616 दुकानों के लिए करीब 4.41 लाख लोगों ने आवेदन किए थे लेकिन 3.60 लाख लोगों द्वारा ही फीस जमा की गई थी. लॉटरी सुबह 11 बजे से सभी जिला मुख्यालयों पर कलक्टरों की देखरेख में निकाली गई. जयपुर में भवानी निकेतन में 406 दुकानों की लॉटरी पूरी पारदर्शिता से कलेक्टर की देखरेख में निकाली गई.
जयपुर शहर में आबकारी विभाग को 406 दुकानों के लिए 31,564 आवेदन मिले हैं. जिनमें से 206 अंग्रेजी शराब दुकानों के लिए 25,857 आवेदन जबकि शेष 200 देशी शराब की दुकानों के लिए 5,707 आवेदन आए हैं. लॉटरी प्रकिया की शुरूआत में जोन एक में पहली लॉटरी रजनीश के निकली. पूरी लॉटरी प्रकिया में आवेदनकर्ताओं की मौजूदगी में आवेदनकर्ताओं की एक-एक पर्ची को प्लास्टिक की बाल्टी में डाला गया और उसके बाद पहले अंग्रेजी शराब की दुकानों की लॉटरी निकाली गई और फिर देसी व कम्पोजिट शराब की दुकानों की लॉटरी निकाली गई. जिस आवेदनकर्ता के लॉटरी निकल गई उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा.
प्रदेश में दो साल बाद शराब दुकानों के लिए लॉटरी निकाली गई. गत वर्ष विधानसभा चुनावों को देखते हुए राज्य सरकार ने पुरानी दुकानों का ही नवीनीकरण कर दिया था. ऐसे में दो साल बाद दुकानों के लिए आवेदन मांगे जाने से सरकार को करीब 1004 करोड़ रुपए की आय आवेदन शुल्क से ही हो चुकी है. अंग्रेजी शराब की दुकानों के लिए आवेदन बड़ी संख्या में डाले गए. इसकी वजह यह है कि ये लोग दुकानों का खुद संचालन नहीं करते. लेकिन दुकानें की लॉटरी खुलने पर 15 से 20 लाख तक में ठेकेदार खरीद लेते हैं. इस कमाई को देखते हुए आमजन भी लॉटरी में हिस्सा लेते हैं.
आबकारी विभाग को केवल आवेदनों से 1,000 करोड़ से ज्यादा की कमाई हुई. जिससे अफसरों के चेहरे खिलखिला रहे हैं लेकिन अब शराब दुकान आवंटन के बाद लोकेशन का खेल शुरू होगा.