पुरुष प्रधान समाज में शीर्ष मुकाम बनाने वाली देश की पहली महिलाओं को सलाम
भारत में उन महिलाओं का एक लंबा इतिहास रहा है, जिन्होंने लैंगिक रूढ़ियों को तोड़ा है और पुरुष प्रधान समाज में शीर्ष मुकाम बनाने वाली पहली महिला बनीं। ऐसी महिलाओं ने देश को गौरवान्वित किया है। देश का नाम रोशन करने वाली इन नारियों के कृतित्व-व्यक्तित्व पर पेश है विशेष सामग्री:
साइना नेहवाल:
2015 में विश्व बैडमिंटन रैंकिंग में पहला स्थान पाने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।
मैरी कॉम:
लंदन में आयोजित 2012 ओलंपिक में मुक्केबाजी में पदक जीतने वाली देश की पहली महिला बनीं। इसमें उन्होंने कांस्य पदक हासिल किया था। यही नहीं, वह इकलौती महिला हैं, जो छह बार विश्व मुक्केबाजी प्रतियोगिता भी जीत चुकीं हैं।
लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी:
गणतंत्र दिवस परेड 2019 में पुरुषों की टुकड़ी का नेतृत्व करने वाली पहली महिला सेना अधिकारी बनकर इतिहास रचा दिया।
अरुणिमा सिन्हा:
2013 में माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला बनीं। साथ ही अंटार्कटिका की सबसे ऊंची चोटी माउंट विंसन को फतह करने वाली दुनिया की पहली दिव्यांग महिला बनीं।
प्रांजल पाटिल:
भारत की पहली दृष्टिबाधित महिला आइएस अधिकारी बनीं। पिछले साल पाटिल ने केरल में एर्नाकुलम जिले के सहायक कलेक्टर के रूप में कार्यभार संभाला।
डॉ जीसी अनुपमा:
19 फरवरी, 2019 को देश में पेशेवर खगोलविदों के प्रमुख संघ, एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की पहली महिला प्रमुख बनीं।
फ्लाइट लेफ्टिनेंट हिना जायसवाल:
16 फरवरी, 2019 को भारतीय वायु सेना में शामिल होने वाली पहली महिला फ्लाइट इंजीनियर बनकर देश को गौरव दिलाया।
शांति देवी:
भारत में पहली महिला ट्रक मेकैनिक बनीं और 20 से अधिक वर्षों से काम कर रही हैं।
कविता देवी:
डब्ल्यूडब्ल्यूई में पहली भारतीय महिला पहलवान बनकर इतिहास रचा।