तीस साल बाद कश्मीर में खुला सिनेमाघर, अभी सिर्फ जवानों को ही होगी फिल्म देखने की इजाजत
अपने घरों से सैकड़ों किलोमीटर दूर आतंकवाद ग्रस्त कश्मीर में बखूबी अपने कर्तव्य का पालन कर रहे केंद्रीय रिजर्व पुलिस के जवान कई बार तनाव से पीड़ित हो जाते हैं। इन जवानों को तनाव से दूर करने के लिए कश्मीर में तीस साल बाद सिनेमाघर को खोला गया है। यह सिनेमाघर हेवन है। कुछ सप्ताह पहले पुलवामा में जिस जगह आतंकवादी हमले में चालीस सीआरपीएफ के जवान शहीद हो गए थे, वहां से यह सिनेमाघर मात्र बीस किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। फिलहाल यह सिनेमाघर सिर्फ सीआरपीएफ के लिए ही खोला गया है। कश्मीर में अस्सी के दशक के अंत और नब्बे दशक के आरंभ में आतंकवाद चरम पर होने के चलते सभी सिनेमाघर बंद हो गए थे। हालांकि अभी भी आम लोगों के लिए कोई भी सिनेमाघर नहीं खोला गया है। परंतु इससे यह उम्मीद बंद गई है कि आने वाले समय में कश्मीर के आम लोगों के लिए भी सिनेमाघर खोले जा सकते हैं।
हेवल सिनेमाघर में आखिरी बार कालिया फिल्म दिखाई गई थी
हेवन सिनेमाघर में साल 1991 में अमिताभ बच्चन की कालिया अंतिम फिल्म दिखाई गई थी। करीब तीस साल बाद जब इस सिनेमाघर को फिर से खोला गया तो इसमें जेपी दत्ता के निर्देशन में बनी देशभक्ति की फिल्म पलटन दिखाई गई। यह जवानों में जोश भरने वाली तो थी ही, इससे तनाव भी दूर होता है। फिल्म देखने के बाद बाद जवानों में भी कुछ ऐसा ही उत्साह था। घरों से दूर रह रहे जवान इस दौरान एक दूसरे के साथ हल्के अंदाज में नजर आए। एक जवान रामजी का कहना था कि फिल्म देखने से काफी सुकून मिला। उन्हें उन दिनों की भी याद आ गई जब गेट पर टिकट लेने के लिए बड़ी संख्या में लोग मौजूद होते थे। कई बार सुरक्षाबल और स्थानीय लोग एक दूसरे के साथ मिल बैठक कर फिल्म देखते थे।
कश्मीर में थे 17 सिनेमाघर, सब बंद
वर्ष 1989 तक घाटी में 17 सिनेमाघर थे। रीगल, प्लेडयम, नाज, अमरीश, फिरदौस, शीराज, ब्रॉडवे, शाह और नीलम श्रीनगर शहर, समद टॉकीज, हीवन, थिमाया, कापरा, रेगिना, मराजी तथा हीमाल सिनेमा बारामूला, कुपवाड़ा व अनंतनाग में थे। 1989 में अल्लाह गाइगर्स नामक आतंकी संगठन ने चेयरमैन एयर मार्शल नूर खान के नेतृत्व में सिनेमाघरों को बंद करने के लिए अभियान चलाया। तीन महीनों में सिनेमाघरों तथा शराब की दुकानों को बंद करवा दिया। 1990 में लालचौक में रीगल सिनेमा में आतंकियों ने ग्रेनेड हमले कर घाटी के तमाम सिनेमाघर बंद करवा दिए। वर्ष 2002 में पीडीपी व कांग्रेस शासन में कुछ सिनेमाघर फिर से खोले गए, लेकिन लोग दहशत के चलते नहीं आए। सिनेमाघर फिर बंद हो गए। अधिकांश सिनेमाघरों का निर्माण 1960 में हुआ।