लखनऊः दिल्ली में बेची गई आदिवासी लड़की डॉक्टर के घर से बरामद, मानव तस्करी का शक
लखनऊ
झारखंड से 14 साल पहले अगवा करके दिल्ली में बेची गई आदिवासी लड़की को आशा ज्योति केंद्र की टीम ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के लखनऊ के राजाजीपुरम इलाके में एक डॉक्टर के घर से बरामद कर लिया। पुलिस को यह भी सूचना मिली थी कि मानव तस्करी के जाल में फंसी तीन अन्य किशोरियों को राजधानी के विभूतिखंड में बंधक बनाकर रखा गया है। पुलिस ने विभूति खंड के अपार्टमेंट में छापेमारी की पर लड़कियों को वहां से पहले ही हटा लिया गया।
मानव अंगों की तस्करी का शक
जिला प्रोबेशन अधिकारी सुधाकर पांडेय ने बताया, ‘युवती को राजाजीपुरम निवासी डॉक्टर के घर से रेस्क्यू किया गया है। अन्य तीन लड़कियों की तलाश की जा रही है।’ वहीं, छापेमारी में शामिल आशा ज्योति केंद्र की टीम के मुताबिक, गैंग में डॉक्टरों का होना मानव अंगों की तस्करी की ओर इशारा करता है। आशा ज्योति केंद्र की प्रभारी अर्चाना सिंह ने बताया कि 25 मई को दिल्ली के एनजीओ महिला बाल विकलांग वृद्ध समिति की रेनू तूरा ने हजरतगंज में मकबरा स्थित एक हॉस्टल से चार युवतियां बरामद कीं।
शादी करने के बाद अंधी मां को तलाश रही थी
साल 2005 में गिरोह के लोगों ने झारखंड से 10 साल की बच्ची को अगवा करके दिल्ली में बेच दिया था। हजरतगंज मकबरा में पीजी संचालक ने उसे दिल्ली से खरीदा और लखनऊ में अपने घर पर रख लिया। किशोरी ने 2011 में वहीं के माली से शादी कर ली। इसके बाद झारखंड में वह अपनी अंधी मां को तलाशती रही। दो महीने पहले लड़की ने पति के साथ दिल्ली में एनजीओ संचालिका रेनू से मुलाकात की और पूरी बात बताई।
50 हजार में खाड़ी देशों में भेजा जाता था
छुड़ाई गई लड़की ने बताया कि झारखंड में उसके गांव के पास रहने वाले बिरसा ने एक साथ 10 लड़कियां दिल्ली के एजेंट डेनियल को बेची थीं। इन्हें घरेलू कामकाज के लिए बेचा जाता था। 15 साल से बड़ी लड़कियों को देहव्यापार में धकेल दिया जाता है। टीम को आशंका है कि 20 साल से ज्यादा उम्र की लड़कियों के अंग बेचे जाते थे। इसके लिए 40 से 50 हजार रुपये लेकर उन्हें खाड़ी देशों में भेजा जाता था।