खत्म हो रहा है अल-नीनो का प्रभाव, अब जमकर बरसेंगे मानसूनी बादल
इस महीने मानसून के पहले से बेहतर रहने की संभावना है। इसकी वजह है अल-नीनो का पिछले महीने से कमजोर होना। अमेरिकी मौसम एजेंसी के अनुसार यह अगले एक या दो महीने में गायब हो जाएगा। दरअसल, प्रशांत महासागर के भूमध्यीय क्षेत्र के समुद्र के तापमान और वायुमंडलीय परिस्थितियों में आए बदलाव के लिए उत्तरदायी समुद्री घटना को अल-नीनो (अल-नीनो या अल-निनो) कहा जाता है।
इसके परिणाम स्वरूप समुद्र के सतह के जल का तापमान सामान्य से अधिक हो जाता है। इसका विस्तार 3 डिग्री दक्षिण से 18 डिग्री दक्षिण अक्षांश तक रहता है। इससे अमूमन भारतीय मानसून कमजोर हो जाता है। भारतीय मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि अल-नीनो की मौजूदगी से जून में मानसून पर प्रभाव पड़ा जिसमें 33 प्रतिशत की कमी दर्ज की गई।
पिछले महीने कमजोर अल-नीनो का मानसून के मौसम (सितंबर-अंत) और उसके बाद भी जारी रहने का अनुमान था। हालांकि क्लाइमेट प्रीडिक्शन सेंटर और अमेरीका की राष्ट्रीय एजेंसियों द्वारा बीते गुरुवार को जारी बयान के अनुसार पिछले महीने अल-नीनो काफी कमजोर हुआ है। मौसम विभाग के अधिकारियों का कहना है कि मानसून पर छाई अल-नीनो की छाया अब घट रही है जो मानसून के लिए अच्छी खबर है।
मौसम विभाग में मानसून पूर्वानुमान के प्रमुख डी शिवानंद पाल ने कहा, ‘हालांकि अल-नीनो का प्रभाव पूरी तरह से दूर नहीं हो सकता, यह निश्चित रूप से यहां से कम हो जाएगा।’ अल-नीनो के प्रभावित रहने से पूर्वी और मध्य प्रशांत महासागर की सतह में असामान्य रूप से गर्मी की स्थिति रहती है। जिससे हवाओं का चक्र प्रभावित होता है। ये चक्र भारतीय मानसून पर विपरीत प्रभाव डालता है। अब चूंकि अल-नीनो कमजोर हो रहा है तो आशंका जताई जा रही है कि मानसून अच्छा रहेगा।
माना जा रहा है कि जुलाई में मानसून सामान्य से 22 प्रतिशत ज्यादा रहेगा। एक जून से समग्र बारिश की कमी पिछले महीने के अंत में 33 प्रतिशत से घटकर 12 प्रतिशत हो गई है। हालांकि देशभर में खासतौर से केंद्रीय और उत्तरी पश्चिमी भारत में बारिश में अगले तीन-चार दिनों में कमी होने की संभावना है क्योंकि मानसूम में संक्षिप्त कमी आ सकती है। इस समयावधि के दौरान दक्षिण भारत में बारिश होगी।