भारतीय वायुसेना में शामिल होंगे हल्के ड्रोन, बालाकोट जैसे आतंकी ठिकानों पर बरसाएंगे ‘कहर’
बालाकोट जैसे हमलों के लिए भारत हल्के ड्रोन विमान तैयार कर रहा है। अगली पीढ़ी की विमानन तकनीक को सामने लाने की कोशिश के तहत सरकारी हिन्दुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) तथा बंगलूरू स्थित स्टार्टअप न्यूस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजी में मौजूद इंजीनियरों और सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों की टीम अथक प्रयास कर रही है। अगले दो सालों में ये विमान भारतीय वायुसेना का हिस्सा हो सकते हैं।
मानवरहित ड्रोन विमान दुश्मक के इलाके में घुसकर भारी तबाही मचा सकते हैं। ड्रोन विमानों का झुंड दुश्मन के इलाके में घुसेगा, अपने आप निशाने तक उड़कर पहुंचेगा, और फिर अत्याधुनिक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से बालाकोट में जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी प्रशिक्षण केंद्र जैसे निशानों पर कतई सधे हुए समन्वित हमले करेगा।
आतंकी ठिकानों को नष्ट करने के लिए झुंड में दर्जनों ड्रोन विमान होगों। अगर उन्हें दुश्मन ने अपनी सीमा में देख भी लिया तो वो कुछ ड्रोन मार गिरा सकता है लेकिन झुंड में मौजूद विमानों की संख्या इतनी ज़्यादा होगी कि सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों वाले दुश्मन के रक्षा कवच के पलटवार के बावजूद कुछ विमान चकमा देकर मिशन को पूरा कर लेंगे।
इन ड्रोन विमानों को इतनी ऊंचाई से छोड़ा जाएगा जहां से इनको छोड़ने वाला विमान दुश्मन विमानों तथा मिसाइलों से सुरक्षित हो। इन विमानों में बैटरी का इस्तेमाल किया गया है जो इन्हें 100 किलोमीटर प्रति घंटे से भी तेज रफ्तार देने में सक्षम है। यह बैटरी दो घंटे तक चलेगी और इतने वक्त में ड्रोन विमानों का झुंड निशाने तक पहुंच जाएगा।
प्रोजेक्ट मैनेजर के मुताबिक, सभी ड्रोन इलेक्ट्रॉनिक डेटा-लिंक्स के जरिए एक-दूसरे से पूरी तरह जुड़े रहते हैं। अपने इन्फ्रारेड तथा इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल सेंसरों का इस्तेमाल करते हुए ड्रोन दुश्मन की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली, दुश्मन के रडार और सतह पर खड़े दुश्मन विमानों जैसे अपने निशानों को तलाश लेते हैं।