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तमिलनाडु में तलाशी चांद जैसी चट्‌टानें, फिर बेंगलुरू में चांद-सी सतह बनाकर कराई थी रोवर की लैंडिंग

श्रीहरिकोटा. भारत का बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-2 मिशन सोमवार तड़के लॉन्च नहीं हो सका। तकनीकी गड़बड़ी की वजह से इसरो ने रात करीब 2 बजे अचानक लॉन्चिंग टालने का फैसला किया है। अब उस दिन का इंतजार है, जब हम चंद्रयान-2 को चांद पर उतरा देखेंगे और दुनिया भारत की ओर देखेगी। दैनिक भास्कर के अनिरुद्ध शर्मा ने चंद्रयान-1 के डायरेक्टर और चंद्रयान-2 मिशन में भी शामिल रहे डॉ. एम अन्नादुरई से लॉन्चिंग की तैयारियों को लेकर खास बातचीत की थी। 

डॉ. अन्नादुरई ने बताया, “चंद्रयान-2 में भी वही ऑर्बिटर है, जो चंद्रयान-1 में था, पर, रूसी स्पेस एजेंसी रॉसकॉसमॉस से करार टूट जाने के बाद इसरो को लैंडर और रोवर खुद ही बनाने पड़े। सबसे बड़ी चुनौती लैंडर और रोवर की टेस्टिंग की थी। इसके लिए चंद्रमा जैसी मिट्‌टी, कम ग्रेविटी का क्षेत्र, चांद पर पड़ने वाली चमकदार रोशनी और वातावरण वैसा ही रीक्रिएट करने की जरूरत थी। एक तरीका तो यह था कि अमेरिका से सिमुलेटेड लूनर सॉयल (चांद जैसी मिट्‌टी) लाते, जो 150 डॉलर/किलो है। हमें 70 टन मिट्‌टी की जरूरत थी। लागत ज्यादा थी, तो तय हुआ कि अमेरिका से थोड़ी मिट्‌टी खरीदी जाए और उसका अध्ययन कर यहां ऐसी मिट्‌टी बनाई जाए। इसरो को पता चला कि तमिलनाडु के सालेम में एनॉर्थोसाइट नाम की चट्‌टानें हैं, जो चांद पर मौजूद चट्‌टानों से मिलती हैं। हमारी टीम ने सालेम के सीतामपोंडी और कुन्नाकुलई गांव की चट्‌टानों को उपयुक्त पाया। जिस मिट्‌टी के लिए 72 करोड़ रुपए खर्च करने पड़ते, वह काम मुफ्त में हो गया।”

तमिलनाडु में तलाशी चट्‌टानो को पीसकर मिट्‌टी बनाई

अन्नादुरई ने बताया, “त्रिची के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, सालेम की पेरियार यूनिवर्सिटी और बेंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस के वैज्ञानिकों ने उन चट्‌टानों को पीसकर चंद्रमा जैसी मिट्‌टी बना दी। वहां से ट्रकों में लादकर मिट्‌टी इसरो सैटेलाइट इंटीग्रेशन एंड टेस्टिंग एस्टेब्लिशमेंट बेंगलुरू लाई गई और वहां दो मीटर मोटी सतह बनाई गई। उतनी ही रोशनी रखी गई, जितनी चांद पर है। वहां 2015 से अब तक हजारों बार लैंडिंग कराई गई। चांद पर गुरुत्वाकर्षण बल पृथ्वी से छह गुणा कम है। इसलिए टेस्टिंग के दौरान रोवर का वजन कम करने के लिए हीलियम के गुब्बारे लगाए गए।”

लॉन्चिंग जब हो, चंद्रयान का सफर ऐसा होगा 

  • 17 मिनट में चंद्रयान पृथ्वी की कक्षा में पहुंचेगा: भारत के सबसे ताकतवर रॉकेट (बाहुबली) से अलग होने के बाद ऑर्बिटर 16 दिन में पृथ्वी के 5 चक्कर लगाएगा।
  • लैंडिंग के लिए खुद ही समतल जगह चुनेगा :लैंडर में सेंसर का ऐसा सेट लगा है, जो चांद की सतह सपाट है या नहीं, इसका एक सेकंड से भी कम समय में पता लगाकर तय करता है कि वहां लैंडर का पांव रखने चाहिए या नहीं। उसके बाद ही वह लैंडिंग करेगा।

57 मिनट पहले चंद्रयान की लॉन्चिंग टली 

चंद्रयान मिशन- 2 श्रीहरिकोटा के सतीश धवन लॉन्चिंग पैड-2 से रात 2.51 बजे चंद्रयान-2 लॉन्च किया जाना था, पर तकनीकी गड़बड़ी के चलते तय समय से 56 मिनट 24 सेकंड पहले काउंटडाउन रोक दिया गया। इसकी लॉन्चिंग की नई तारीख बाद में घोषित की जाएगी। लॉन्चिंग देखने के लिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के अलावा सात हजार लोग श्रीहरिकोटा पहुंचे थे। इसरो ने रात 2:37 बजे ट्वीट करके बताया कि ‘टी-56 मिनट पर लॉन्च व्हीकल में कोई तकनीकी गड़बड़ी पता चली थी। एहतियात के तौर पर चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग आज के लिए टाली जा रही है। लॉन्चिंग की नई तारीख की घोषणा बाद में की जाएगी।’ वैज्ञानिकों ने इस बात की भी बधाई दी कि समय रहते इसरो ने गड़बड़ी पकड़ ली और लॉन्चिंग टाल दी।

 

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