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संन्यास के मामले में धोनी को सचिन-कपिल की राह पर चलने से बचना चाहिए

एमएस धोनी ने वर्ल्ड कप में 272 रन बनाए, जो भारतीय बल्लेबाजों में रोहित, विराट और राहुल के बाद सबसे ज्यादा है। पर धोनी के रनों का अब मैच पर इंपैक्ट नहीं दिख रहा है। पांचवें-छठे नंबर पर आकर वे ना तो तेजी से रन बना पा रहे हैं, ना ही मैच फिनिश कर पा रहे हैं। ये तो तय है कि अब भारतीय क्रिकेट के लिए धोनी से आगे बढ़ने का समय आ गया है। सवाल है कि क्या संन्यास के लिए धोनी और इंतजार करेंगे या जल्द कोई घोषणा हो सकती है।

 

इस मामले में दो महान क्रिकेटरों सचिन तेंदुलकर और कपिल देव के उदाहरण हैं, जिनसे धोनी अपने लिए भी कुछ निष्कर्षनिकाल सकते हैं। 2011 वर्ल्ड कप जीत के बाद सचिन तेंदुलकर के पास संन्यास लेने का सबसे अच्छा मौका था, पर उन्होंने ऐसा नहीं किया। इसके बाद सचिन का प्रदर्शन लगातार गिरता गया। 2011 वर्ल्ड कप के बाद से संन्यास लेने तक उन्होंने 21 वनडे में 39.43 की औसत से और 23 टेस्ट में करीब 33 की औसत से ही रन बनाए।

 

कपिल देव 1988 में ही वनडे में सर्वाधिक विकेट लेने वाले गेंदबाज बन चुके थे, पर टेस्ट में इयान बॉथम और रिचर्ड हेडली का रिकॉर्ड तोड़ने के लिए कपिल चार साल और खेले। इस दौरान उन्होंने 14 टेस्ट में महज 27 विकेट लिए। अब देखने वाली बात है कि धोनी एक बार फिर कयासों से उलट कुछ करते हैं या संन्यास के मामले में इन दो क्रिकेटरों की राह पर चले जाते हैं।

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