लविवि में चार गुना हुआ रसायन विज्ञान विभाग का बजट

अब बीएससी और एमएससी के छात्रों को प्रैक्टिकल के लिए मिलेंगे 25 लाख रुपये
लखनऊ विश्वविद्यालय के रसायन विज्ञान विभाग में प्रैक्टिकल के बजट में चार गुना इजाफा हो गया है। अब बीएससी और एमएससी के विद्यार्थियों को प्रैक्टिकल में कोई समस्या नहीं रहेगी। विवि ने रसायन विज्ञान विभाग की प्रयोगशाला का बजट छह लाख से बढ़ाकर 25 लाख रूपये कर दिया है। अभी तक प्रयोगशाला को सिर्फ छह लाख रुपये ही मिलते थे। इतने कम बजट में प्रैक्टिकल कराना संभव नहीं हो पा रहा था। ऐसे में बजट बढ़ने से उनकी समस्या का समाधान हो गया है। वहीं दूसरी ओर शोधार्थियों के लिए अभी भी अलग से कोई बजट जारी नहीं हुआ है। यह समस्या अभी भी बनी हुई है।
विवि के विज्ञान संकाय में सबसे ज्यादा विद्यार्थी केमिस्ट्री विभाग में हैं। केमिस्ट्री के प्रैक्टिकल में काम आने वाले रसायन भी काफी महंगे होते हैं। अन्य प्रयोगशालाओं में जहां एक बार सामग्री खरीदी गई सामग्री कई वर्षों तक काम आती हैं, वहीं प्रैक्टिकल में रसायन खर्च हो जाते हैं। इसके बावजूद अब तक सभी विभागों को प्रैक्टिकल के लिए एक समान छह लाख रुपये सालाना ही मिलते थे। इसको लेकर ‘अमर उजाला’ ने बीते साल खबर भी प्रकाशित की थी। खबर के बाद लविवि प्रशासन ने विभाग को प्रैक्टिकल के लिए अतिरिक्त राशि भी दी थी। इस साल इसके बजट में ही बढ़ोतरी कर दी गई है। 25 लाख में से 15 लाख रुपये रसायन के लिए, पांच लाख रुपये गैस, पांच लाख रुपये न्यूक्लिक मैग्नेटिक स्पेक्ट्रोमीटर चलाने के लिए नाइट्रोजन और हीलियम खरीदने केलिए मिले हैं।
शोधार्थियों के लिए अभी भी बजट का संकट
लविवि में भले ही बीएससी और एमएससी के लिए बजट जारी हो गया है, लेकिन शोधार्थियों को अभी भी कोई फायदा नहीं हुआ है। शोधार्थी बिना किसी बजट के ही अपना शोध पूरा कर रहे हैं। विभागाध्यक्ष प्रो. पद्मकांत के अनुसार वे इसके लिए भी प्रयास कर रहे हैं।
बजट बढ़ने से होगी सहूलियत
कुलपति ने प्रयोगशाला की समस्या को समझते हुए बजट बढ़ा दिया है। इसके लिए विभाग उनका आभारी है। अब बीएससी और एमएससी के सभी प्रैक्टिकल आसानी से हो सकेंगे। शोधार्थियों के लिए फिलहाल अलग से किसी बजट की व्यवस्था नहीं है, लेकिन उनका काम चल जाता है।
प्रो. पद्मकांत,
विभागाध्यक्ष, रसायन विज्ञान विभाग, लविवि