गुटबाजी पर शीला दीक्षित ने सोनिया गांधी को लिखा था आखिरी खत, अजय माकन पर लगाए थे कई आरोप
दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शीला दीक्षित का आखिरी खत सामने आया है. संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे इस खत में शीला दीक्षित ने राज्य प्रभारी पीसी चाको के साथ चल रहे सियासी टकराव का जिक्र किया था. शीला ने अजय माकन को इन सबका जिम्मेदार बताया था.
शीला दीक्षित ने अपने आखिरी खत में लिखा था, ‘मैं दिल्ली कांग्रेस को मजबूत करने के लिए फैसले ले रही हूं, लेकिन पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन के इशारे पर चलकर प्रभारी पीसी चाको बेवजह कदम उठा रहे हैं. पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन प्रभारी चाको को गुमराह कर रहे हैं और पार्टी को नुकसान पहुंचा रहे हैं.’
शीला दीक्षित ने लिखा, ‘जानबूझकर मेरे फैसलों में अड़ंगा लगाया जा रहा है, जबकि मैंने ही अलग चुनाव लड़ने का फैसला लिया था, जबकि माकन के कहने पर चाको गठबंधन के पक्षधर थे. आखिर में नतीजे बताते हैं कि कैसे तीसरे नंबर की कांग्रेस बिना गठजोड़ के दो नंबर पर आ गई.’
सोनिया गांधी को लिखे खत शीला दीक्षित ने कहा, ‘पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष अजय माकन ने प्रभारी चाको को गलत समझाया और बेवजह मेरे फैसलों पर सवाल खड़े करवाए. मेरा साफ कहना है कि आलाकमान निष्पक्ष होकर पूरे मामले में मेरी, चाको की और अजय माकन की भूमिका की जांच कर ले. मुझे विश्वास है कि मेरी बात सही साबित होगी.
शीला दीक्षित ने यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी को यह पत्र 8 जुलाई को लिखा था. इसके बाद मामले को सुलझाने के लिए सोनिया गांधी के करीब नेताओं ने शीला दीक्षित, अजय माकन और पीसी चाकों से मुलाकात की थी. इस मुलाकात के बाद मामले को हल करने का आश्वासन दिया था.
आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को लेकर टकराव
बता दें, लोकसभा चुनाव के दौरान शीला दीक्षित और पीसी चाको में आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर टकराव हो गया था. पीसी चाको गठबंधन के पक्ष में थे, जबकि शीला दीक्षित इसका विरोध कर रही थी. आखिर में कांग्रेस नेतृत्व ने शीला की बात मानी और पार्टी ने दिल्ली की सातों सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा, हालांकि सभी सीटें हार गई.
शनिवार को शीला दीक्षित का हुआ निधन
81 साल की उम्र में शीला दीक्षित का शनिवार दोपहर दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. वह कुछ समय से बीमार चल रही थीं. शनिवार दोपहर 3 बजकर 5 मिनट पर उन्हें दिल का दौरा पड़ा, जिसके बाद डॉक्टरों ने उन्हें वेंटिलेटर पर रख गया, लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका. 3 बजकर 55 मिनट पर उन्होंने अंतिम सांस ली. शीला दीक्षित सबसे ज्यादा तीन बार दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं. 1998 से 2013 तक उन्होंने दिल्ली का शासन संभाला. उन्हें दिल्ली को आधुनिक बनाने का श्रेय दिया जाता है. बीते दिनों उन्हें दिल्ली कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया था.