तिल-तिलकर मरता हुआ नहीं देख पाई, नजर बचाकर कर दिया ऐसा काम
लखनऊ, ट्रॉमा सेंटर के एनआइसीयू में भर्ती शांति देवी के तीन माह के बच्चे की हालत स्थिर होने लगी थी। इसलिए डॉक्टर ने बच्चे को वेंटिलेटर हटाकर केएमसी (कंगारू मदर केयर) वार्ड में शिफ्ट किया था, ताकि मां बच्चे को दूध पिला सके। इतने दिन वेंटिलेटर पर रहने के कारण मां बच्चे से अलग ही थी। केएमसी वार्ड में जाने से बच्चा मां के करीब रह सकता था। यह सिर्फ फीडिंग तक ही सीमित नहीं, इससे मां और बच्चे का भावनात्मक जुड़ाव और मजबूत होता है। शांति के साथ इसका उल्टा हुआ। वह बच्चे से निजात पाना चाहती थी। हर रोज बच्चे को तिल-तिलकर मरते देखने से वह टूट गई थी। इसलिए वह छुटकारा चाहती थी। रातभर वह मौका तलाशती रही। सुबह पांच बजे जैसे ही मौका मिला, उसने बच्चे को वार्ड की खिड़की से नीचे फेंक दिया। केएमसी वार्ड में शांति के अलावा अन्य महिलाएं भी थीं। सोमवार की रात बाकी महिलाएं तो सो गईं, लेकिन एक महिला को नींद नहीं आ रही थी। शांति उससे बार-बार कहती कि सो जाओ, रात काफी हो गई। सुबह साढ़े चार बजे के करीब उसकी आंख लग गई। 15 मिनट बाद शोर सुनकर उसकी आंख खुली तो पता चला कि शांति ने बच्चा चोरी हो जाने की बात कहकर हंगामा कर दिया है। नर्सिंग स्टाफ, गार्ड, डॉक्टर, पुलिस वगैरह ट्रॉमा सेंटर के एनआइसीयू में पहुंच गए। महिला ने वहां सबको बताया कि कुछ देर पहले तो उसके हाथ में बच्चा था। इस पर गैलरी में लगे सीसी कैमरे की फुटेज खंगाली गई। फुटेज में शांति बच्चे को गोद में लेकर इधर-उधर झांकते हुए टहलती नजर आई। इस पर उससे कड़ाई से पूछा गया कि अगर कुछ देर पहले ही बच्चा तुम्हारी गोद में था तो बच्चा खो कैसे सकता है। इस पर वह टूट गई और उसने अपना अपराध स्वीकार कर लिया