विधेयक लागू हुआ तो, भूजल की लूट पर कसेगा शिकंजा
लखनऊ – डेढ़ दशक के लंबे इंतजार के बाद कैबिनेट से उत्तर प्रदेश भूगर्भ जल (प्रबंधन एवं नियमन) विधेयक अनुमोदित हुआ तो भूजल की खुली लूट पर शिकंजा कसने की उम्मीद भी जग गई है। इसके लागू होते ही सूबे में टैंकरों से हर रोज हो रहा भूजल का हजारों करोड़ का व्यवसाय ‘अवैध’ होगा।
लखनऊ में भरत नगर, प्रीती नगर, ताड़ी खाना, कानपुर रोड, चिनहट आदि क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर सबमर्सिबल बोरिंग कर पानी का धंधा चल रहा है। टैंकरों के माध्यम से पूरे शहर में बेरोकटोक पानी सप्लाई किया जाता है। लूट का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि एक टैंकर में 7000 लीटर पानी केलिए 700 रुपये वसूले जाते हैं। मोटे आकलन के अनुसार, शहर में लगभग एक दिन में 2000 टैंकर पानी की सप्लाई होती है। जागरण ने इस मुद्दे को लगातार उठा रहा है। अब भूजल विधेयक से इस बात की उम्मीद जगी है कि टैंकर व्यवसाय पर शिकंजा कसेगा।
इस विधेयक में नलकूप और सबमर्सिबल बोरिंग के पंजीकरण की अनिवार्यता का मकसद इनकी पुख्ता जानकारी हासिल करना है। इससे शहरों और गांवों में भूजल दोहन की असल तस्वीर पहली बार सामने आएगी। साथ ही विभिन्न क्षेत्रों में भूजल उपलब्धता एवं हाइड्रो जियोलॉजिकल परिस्थितियों के आधार पर दोहन की मात्र तय की जाएगी। इसका उल्लंघन होने पर जुर्माना लगेगा।
ये हैं कुछ अहम प्रावधान
अति दोहित, जल संकटग्रस्त विकास खंड और संकटग्रस्त शहरों में नए नलकूपों पर प्रतिबंध
हर वर्ष 20 सेमी या ज्यादा भूजल गिरावट वाले करीब 24 शहर एक्ट के दायरे में आएंगे
संकटग्रस्त क्षेत्रों में सख्ती होगी, मानक के अनुरूप भूजल स्तर सुधरने पर पाबंदी हट सकेगी
सड़क, खेत के वर्षा जल से विभिन्न माध्यम से भूजल स्तर रीचार्ज करने पर पाबंदी होगी।