निजी विश्वविद्यालयों में नहीं हो सकेंगी राष्ट्रद्रोही गतिविधियां
यूपी विधानसभा में गुरुवार को प्रदेश के 27 निजी विश्वविद्यालयों को एक छाते के नीचे लाने वाला यूपी निजी विश्वविद्यालय विधेयक-2019 ध्वनिमत से पास हो गया। इस विधेयक में इस बात का खास प्राविधान किया गया है कि अब निजी विश्व विश्वविद्यालयों में भी राष्ट्रद्रोही गतिविधियां नहीं हो सकेंगी। ऐसा होने पर सरकार कड़ी कार्रवाई करेगी।
हालांकि समाजवादी पार्टी ने इस विधेयक का यह कहते हुए विरोध किया कि इस विधेयक को लाने का मकसद सिर्फ एक विश्वविद्यालय को लक्ष्य बनाना है। उनका इशारा आजम खां के जौहर विश्वविद्यालय से है।
संसदीय कार्य मंत्री सुरेश खन्ना ने सदन में विधेयक पेश करते हुए कहा कि इस विधेयक के कानून बनने से सभी 27 विश्वविद्यालय एक कानून के अधीन होंगे। अभी सभी निजी विश्वविद्यालयों के अपने अलग-अलग एक्ट हैं और सबके अलग-अलग प्रावधान हैं। साथ ही भविष्य में खोले जाने वाले निजी विश्वविद्यालय भी इसी प्रस्तावित कानून के जरिए खोले जा सकेंगे। इस कानून से निजी विश्वविद्यालय खोले जाने को जहां बढ़ावा मिलेगा, वहीं निजी विश्वविद्यालयों की स्वेच्छाचारिता पर भी अंकुश लगेगा। उन्होंने स्पष्ट कहा कि विश्वविद्यालयों में राष्ट्र विरोधी क्रियाकलाप करने की अनुमति नहीं देंगे। ऐसा होने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने बताया कि इसके साथ ही इस विधेयक में निजी विश्वविद्यालयों की स्वायत्तता व शिक्षा की अच्छी गुणवत्ता के लिए भी प्रावधान किए गए हैं।
जेएनयू मामले को लेकर नोक-झोंक : सपा के सदस्य उज्जवल रमण सिंह ने आरोप लगाया कि यह विधेयक किसी एक निजी विश्वविद्यालय को टारगेट करने के लिए लाया गया है। उनका इशारा सपा नेता आजम खां के जौहर विश्वविद्यालय की ओर था। उन्होंने कहा कि यह एक व्यक्ति के खिलाफ साजिश है। यह सरकार उस विश्वविद्यालय को खत्म करना चाहती है। इस बीच, जवाहर लाल नेहरु विश्वविद्यालय नई दिल्ली का मसला उछल गया।
श्री सिंह ने कहा कि दम हो तो नेहरू के बारे में कुछ कह कर दिखाएं। जवाब में संसदीय कार्य मंत्री ने कहा कि नेहरुके नाम से हमें कोई आपत्ति नहीं। नीतियों से आपत्ति हो सकती है। जेएनयू के स्कालर्स के हम कायल हैं। उन्होंने सपा सदस्य से सवाल पूछा कि भारत तेरे टुकड़े होंगे जैसे नारे लगाने वालों के बारे में उनकी क्या सोच है? इस पर गोरखपुर से भाजपा सदस्य शीतल पांडेय ने कहा कि ये टुकड़े-टुकड़े गैंग के समर्थक हैं। इसको लेकर सपा और भाजपा सदस्यों में नोकझोंक हो गई।
निजी विश्वविद्यालय विधेयक 2019 की खास बातें
’ न्यूनतम 75 प्रतिशत शिक्षकों की नियमित नियुक्ति विभिन्न विभागों में किए जाने का प्रावधान होगा
’ कॉमन एकेडमिक कैलेंडर सभी विश्वविद्यालयों पर समान रूप से लागू होगा
’ छात्रों के प्रवेश की प्रक्रिया, प्रवेश का प्रारंभ एवं अंतिम तिथि तथा विभिन्न पाठ्यक्रमों में निर्धारित शुल्क को पब्लिक डोमेन में प्रदर्शित करने का प्रावधान होगा
’ कार्य परिषद में राज्य सरकार के प्रतिनिधि के रूप में संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के स्तर का अधिकारी सदस्य होगा