अब दवाओं के बेअसर होने का खुलेगा राज, जानें कैसे
Abpbharat news -लखनऊ | कल्पना कीजिए कि दवाएं अगर असर करना बंद कर दें तो कितनी विकट स्थिति पैदा हो जाएगी। दिन-ब-दिन मरीजों पर दवाओं के बेअसर होते जाने के मामले बढ़ते जा रहे हैं। एक ही शहर के अलग-अलग क्षेत्रों में एक रोग की कुछ दवाएं काम कर रही हैं तो कुछ नहीं। ऐसा क्यों है, इसकी पड़ताल करने के लिए केजीएमयू क्षेत्रवार बैक्टीरिया की सेंसिटीविटी परखने के लिए प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसके लिए सैंपल कलेक्शन का काम हो चुका है। अब उनकी स्क्रीनिंग का काम चल रहा है।
रोग के प्रमुख कारण वायरस, बैक्टीरिया और फंगस धीरे-धीरे दवाओं के प्रति अपनी प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते जा रहे हैं। इससे दवाएं असर करना बंद कर रही हैं। इसके समाधान के लिए केजीएमयू एंटी माइक्रोबियल स्टीवर्डशिप प्रोग्राम (एएमएसपी) प्रोजेक्ट पर काम कर रहा है। इसके तहत केजीएमयू में आने वाले अधिकांश मरीजों के ब्लड सैंपल इकट्ठा किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े एसोसिएट प्रोफेसर मेडिसिन डॉ. डी. हिमांशु ने बताया कि कल्चर कलेक्शन का यह काम एक साल से चल रहा है और आगे भी चलता रहेगा। अब इनकी जांच की जा रही है कि एक ही रोग के अलग-अलग क्षेत्रों के रोगियों में बैक्टीरिया का कौन सा प्रकार सक्रिय है। यानी बैक्टीरिया की सेंसिटीविटी जांची जाएगी। फिर उसी हिसाब से तय किया जाएगा कि उस क्षेत्र में कौन सी एंटीबायोटिक इस्तेमाल करनी है। साथ ही क्षेत्रों में फर्मासिस्ट जाएंगे जो देखेंगे कि एक ही एंटीबायोटिक का इस्तेमाल लंबे समय से तो नहीं हो रहा है। यदि हो रहा है तो उसे बदला जाएगा, क्योंकि रजिस्टेंट बैक्टीरिया के बढऩे का यह सबसे प्रमुख कारण है।
क्यों बढ़ रहा है रजिस्टेंट बैक्टीरिया
डॉ. हिमांशु बताते हैं कि रजिस्टेंट बैक्टीरिया हमेशा से ही प्रकृति में मौजूद रहते हैं। दुनिया की पहली एंटीबायोटिक पेनिसिलिन के मार्केट में आने से पहले ही उसका रजिस्टेंट बैक्टीरिया खोज लिया गया था। रोग होने पर मरीज दवा खाता है तो सेंसेटिव बैक्टीरिया तो नष्ट हो जाते हैं पर रजिस्टेंट बैक्टीरिया बचे रहते हैं। फिर वे अपनी तादाद बढ़ा लेते हैं। लंबे समय तक यह प्रक्रिया चलती है। इसलिए रोगी जब दोबारा वही दवा खाता है तो वह असर नहीं करती।
मुख्य कारण
*एंटीबायोटिक का अतिशय इस्तेमाल
*दवा के कोर्स को अधूरा छोडऩा
*पशुओं में एंटीबायोटिक का ज्यादा इस्तेमाल।
*किन रोगों में है ज्यादा समस्या
निमोनिया
*यूरिनरी ट्रैक्ड इन्फेक्शन
*रक्त का संक्रमण
*पेट में इन्फेक्शन
*स्किन इन्फेक्शन