Abpbharat news-अमेठी राजघराने के वारिस और कांग्रेस के पूर्व राज्यसभा सांसद संजय सिंह बुधवार को भारतीय जनता पार्टी में शामिल हो गए. कभी वह नेहरू-गांधी परिवार के करीबी माने जाते थे. संजय सिंह का बीजेपी में आना कांग्रेस के लिए बड़ा झटका है. संजय सिंह हमेशा विवादों में रहे हैं. चाहे उनकी निजी जिंदगी हो या फिर चुनावी रण.
2017 में यूपी के विधानसभा चुनाव हुए थे. तब बीजेपी ने संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह को उम्मीदवार बनाया था, तो कांग्रेस ने उनकी दूसरी पत्नी अमिता सिंह को टिकट दिया था. तब यूपी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस की प्रचार कमेटी के मुखिया संजय सिंह ही थे.
दरअसल, संजय सिंह को गांधी परिवार का बहुत ही करीबी माना जाता था. एक वक्त वो भी था कि वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के बहुत अच्छे दोस्त हुआ करते थे. लेकिन संजय सिंह, बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी मर्डर केस और राज घराने की विरासत को लेकर हुई जंग की वजह से खूब विवादों में रहे.
सैयद मोदी मर्डर केस
बात 28 जुलाई 1988 की है. लखनऊ के केडी सिंह बाबू स्टेडियम के बाहर मशहूर बैडमिंटन खिलाड़ी सैयद मोदी की गोलीमार कर हत्या कर दी गई थी. इस वारदात के वक्त सैयद मोदी स्टेडियम से प्रैक्टिस करके निकल रहे थे. अभी वे सड़क पर पहुंचे ही थे कि वहां घात लगाए हत्यारों ने उन पर ताबड़तोड़ 8 गोलियां दाग दी. साफ था कि गोली चलाने वाले नहीं चाहते थे कि सैयद मोदी जिंदा रहे. हत्यारे अपने मंसूबे में कामयाब भी हो गए.
शुरुआती जांच के बाद मामले को सीबीआई को सौंप दिया गया. सैयद मोदी हत्याकांड में शुरुआती जांच के दौरान अमेठी के राजघराने से ताल्लुक रखने वाले तत्कालीन जनमोर्चा नेता संजय सिंह का नाम सामने आया था. उस वक्त यूपी की राजनीति में भूचाल आ गया था. पूरे देश की निगाहें इस हाई प्रोफाइल मर्डर केस की जांच पर टिकी थी.
हर कोई यही जानना चाहता था कि आखिर किसके इशारे पर इस हत्यकांड को अंजाम दिया गया था. नवंबर 1988 में सीबीआई ने इस केस में चार्जशीट दाखिल की थी जिसमें कुल सात लोगों को आरोपी बनाया गया था. आरोपियों में संजय सिंह, अमिता मोदी, जितेंद्र सिंह, भगवती सिंह, अखिलेश सिंह, अमर बहादुर सिंह और बलई सिंह शामिल थे.
सीबीआई का आरोप था कि संजय सिंह, अमिता मोदी और अखिलेश सिंह ने सैयद मोदी के मर्डर की साजिश रची थी. बाकी 4 लोगों ने इस हत्याकांड को अंजाम दिया था. सीबीआई के मुताबिक केडी सिंह बाबू स्टेडियम के पास मारुति कार से जब भगवती सिंह ने सैयद मोदी पर रिवॉल्वर से फायरिंग कि तो दूसरे आरोपी जितेंद्र सिंह ने उसका साथ दिया था.
बताया जाता है कि सैयद मोदी, अमिता मोदी और संजय सिंह के बीच गहरी दोस्ती थी. इसी दोस्ती की वजह से संजय सिंह और सैयद मोदी का परिवार एक दूसरे के बेहद करीब भी आ गया था. लेकिन सैयद मोदी के कत्ल के बाद खेल, राजनीति और रिश्तों की एक उलझी हुई कहानी सामने आ रही थी.
रिश्तों की उलझी कहानी
सीबीआई का आरोप था कि संजय सिंह और अमिता मोदी के बीच पनप रहा संबंध ही सैयद मोदी के मर्डर की वजह बना. सीबीआई ने जो केस बनाया उसके मुताबिक ये पूरा मामला प्रेम-त्रिकोण का था. सीबीआई ने अमिता मोदी को हिरासत में लेकर उनसे कड़ी पूछताछ भी की थी. जांच के दौरान सीबीआई ने अमिता मोदी की डायरी भी जब्त की, जिसमें संजय सिंह से उनके नजदीकी रिश्ते की बातें दर्ज थी.
सीबीआई का कहना था कि संजय सिंह ने ही सैयद मोदी की हत्या के लिए अपने साथी अखिलेश सिंह की मदद ली. उन्हें मारने के लिए भाड़े के हत्यारे भेजे थे. अदालत में संजय सिंह की तरफ से दिग्गज वकील राम जेठमलानी ने मोर्चा संभाला था. इसके बाद राजनीति, खेल और रिश्तों में उलझी हुई एक कानूनी जंग छिड़ गई थी.
ऐसे बरी हुए संजय और अमिता
सैयद मोदी मर्डर केस की जांच जब पूरी हुई तो कोर्ट में सीबीआई के दावों की धज्जियां उड़ गई थी. सीबीआई को पहला झटका उस वक्त लगा जब संजय सिंह और अमिता मोदी ने चार्जशीट को ही अदालत में चुनौती दी. फिर इन दोनों के खिलाफ पुख्ता सबूत न होने की वजह से सेशन कोर्ट ने सितंबर 1990 में संजय सिंह और अमिता मोदी का नाम केस से अलग कर दिया. दूसरा झटका 1996 में लगा, जब इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक और अहम आरोपी अखिलेश सिंह को बरी कर दिया था. एक आरोपी का मर्डर, एक की मौत
आरोपी जितेंद्र सिंह को भी बेनेफिट ऑफ डाउट देकर रिहा कर दिया गया. इस केस के 7 में से चार आरोपी तो पहले ही रिहा हो गए. बाकी बचे अमर बहादुर सिंह का संदिग्ध हालत में मर्डर हो गया. एक और आरोपी बलई सिंह की मौत हो गई. सैयद मोदी मर्डर के आखिरी आरोपी भगवती सिंह को लखनऊ के सेशन कोर्ट ने दोषी करार दिया. उसे आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. 22 अगस्त 2009 को अदालत ने सीबीआई की फांसी की सजा की मांग को खारिज कर दिया था.
विरासत का विवाद
पिछले दो दशकों में अमेठी राजघराने के राजा संजय सिंह और अमिता सिंह ने भी कई उतार–चढाव देखे हैं. 1990 में मोदी मर्डर केस से बरी होने के बाद 1995 में संजय ने अमिता से शादी कर ली थी, लेकिन तब तक संजय और गरिमा के घर में बेटे अनंत विक्रम सिंह के अलावा दो बेटियों महिमा सिंह और शैव्या सिंह का जन्म हो चुका था. अब गरिमा सिंह और उनके तीनों बच्चे अमेठी राजघराने की विरासत पर अपना दावा ठोंक रहे हैं. संजय की पहली पत्नी गरिमा आज भी खुद को तलाकशुदा नहीं मानती हैं. पत्नी गरिमा, बेटे अनंत विक्रम, बेटियां महिमा और शैव्या अब भी विरासत की लड़ाई लड़ रहे हैं.