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PGI में एक दिन के बच्‍चे की बनाई गयी आहार नाल, इस रोग से था पीडि़त

लखनऊ ।मां बनने की खुशी चंद घंटों में ही काफूर होने लगी, जब नवजात को दूध पिलाते ही उसने उल्टी कर दी। एक-दो बार नहीं, कई बार ऐसा हुआ। डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की खाने की नली ही नहीं बनी है। परिवारीजन बच्चे को लेकर तुरंत संजय गांधी पीजीआइ पहुंचे।

पीडियाट्रिक सर्जन प्रो. विजय उपाध्याय ने परीक्षण किया तो देखा कि खाने की नली नीचे तक नहीं जुड़ी है। खाने की नली से सांस की नली भी जुड़ी है। प्रो. उपाध्याय ने अगले दिन सर्जरी कर सांस की नली के साथ खाने की नली को जोड़ दिया। चार दिन बाद नवजात ने दूध पिया तो तो मां ने राहत की सांस ली।

हर चार हजार बच्चों में से एक को बीमारी

प्रो. उपाध्याय के मुताबिक कई बार सांस की नली ठीक होती है, लेकिन खाने की नली नहीं बनी होती है। ऐसे मामले में आहार नली को गले के  पास से  निकाल देते हैं और आमाशय में एक ट्यूब डालकर उसका मुंह बाहर निकाल देते हैं, जिससे बच्चे को आहार दिया जाता है। जब बच्चे का वजन 10 किलो हो जाता है, तब हम आमाशय को खाने की नली से जोड़ते हैं। कुछ सर्जन आमाशय और खाने की नली बनाकर जोड़ते हैं, जिससे लीकेज की आशंका रहती है, लेकिन हम सीधे जोड़ते हैं। इस बीमारी को डॉक्टरी भाषा में ट्रैकियल इसोफेजियल फेस्चुला विद इसोफेजियल एट्रेसिया कहते हैं। जन्म लेने वाले हर चार हजार बच्चों में से एक में यह परेशानी होती है।

देर करने पर निमोनिया से बच्चे की हालत हो जाती है गंभीर

खाने की नली और सांस की नली आपस में जुड़ी होने पर दूध पिलाने पर दूध फेफड़े में चला जाता है। इससे बच्चे को निमोनिया हो जाता है। कई बार निमोनिया के कारण बच्चे की हालत गंभीर भी हो जाती है।

ये लक्षण दिखें तो हो जाएं सावधान

प्रो. उपाध्याय के मुताबिक बच्चा दूध न पीए, पीते ही उल्टी कर दे, तेज सांस चले, मुंह से लार अधिक आए तो तुरंत विशेषज्ञ से सलाह लेनी चाहिए। 50 फीसद नवजात पैदा होने के एक से दो दिन के भीतर हमारे पास आ जाते हैं।

जन्म के तुरंत बाद खाने की नली और मल द्वार का हो परीक्षण

प्रो. विजय उपाध्याय के मुताबिक बड़े अस्पतालों में नवजात के जन्म लेते ही फीडिंग ट्यूब से खाने की नली का परीक्षण कर लिया जाता है। ट्यूब 10 सेमी से अधिक खाने की नली में नहीं जाती है, लेकिन छोटे अस्पतालों या घर पर प्रसव के मामले में परीक्षण नहीं होता। इस कारण बच्चे में खाने की नली की बनावटी खराबी का पता नहीं लगता।

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