कश्मीर मुद्दे पर भारत किसी की नहीं सुनेगा
नई दिल्ली, कश्मीर के ताजा हालत पर चिंता जताने पर भारत ने चीन को दो-टूक जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि चीन ने कश्मीर भारत और पाकिस्तान से संयम बरतने की अपील की थी। साथ ही नसीहत देते हुए यह भी कहा था कि ऐसे एकतरफा फैसलों से बचें जिससे मौजूदा स्थिति बदले और दोनों देशों के बीच तनाव बढ़े। हालांकि, यह साफ कर दिया गया कि जब भारत किसी अन्य देशों के मामलों पर कोई हस्तछेप नहीं करता तो किसी और देश को भी हमारे आंतरिक मामलों पर कुछ कहने से बचना चाहिए।
चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता चुनयिंग ने मंगलवार को भारत में अनुच्छेद 370 भंग करने का जिक्र किए बगैर कहा था कि कश्मीर के ताजा हालत पर चीन बेहद चिंतित है। कश्मीर के मुद्दे पर चीन की स्थित सतत और स्पष्ट है। यह मुद्दा भारत और पाकिस्तान को विरासत में मिला है। इस बारे में अंतरराष्ट्रीय समुदाय का भी यही मत है। उन्होंने कहा कि हम दोनों पक्षों का आह्वान करते हैं कि वह बातचीत के जरिए ताजा विवादों को सुलझाएं। साथ ही क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बरकरार रखें।
वहीं, इसपर MEA के प्रवक्ता रवीश कुमार ने चीन को साफ-साफ शब्दों में कश्मीर मसले से दूर रहने को कह दिया है। जम्मू-कश्मीर मुद्दे पर चीनी प्रवक्ता द्वारा की गई टिप्पणियों पर उन्होंने कहा, ‘जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन विधेयक 2019, भारत के क्षेत्र से संबंधित एक आंतरिक मामला है। भारत अन्य देशों के आंतरिक मामलों पर टिप्पणी नहीं करता है और इसी तरह अन्य देशों से भी उम्मीद करता है कि वह इसी तरह से काम करेंगे।
बता दें कि हाल के हफ्तों में कश्मीर मुद्दे पर चीन का यह दूसरा बयान था। विगत 26 जुलाई को चीन ने कहा था कि भारत और पाकिस्तान को शांतिपूर्वक बातचीत के जरिए कश्मीर मुद्दे को सुलझा लेना चाहिए। साथ ही उसने दोनों देशों के बीच अमेरिका के ‘सकारात्मक भूमिका’ निभाने की बात का भी समर्थन किया था।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करने की बात कही थी। यह बात भी उन्होंने वाशिंगटन में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात में कही थी। लेकिन भारत ने कड़ा रुख अख्तियार करते हुए ट्रंप की पेशकश को यह कहते हुए ठुकरा दिया था कि कश्मीर एक द्विपक्षीय मुद्दा है।
चीन के विदेश मंत्रालय ने अपनी पश्चिमी सीमा से लगे लद्दाख को एक अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाने का विरोध करते हुए चीन हमेशा से अपने पश्चिमी धड़े को उसके प्रशासनिक क्षेत्र में शामिल करने का विरोध करता रहा है। लगातार यही स्थिति है और यह कभी बदली नहीं है। उसने भारतीय पक्ष से कहा कि वह सीमा संबंधी मुद्दों पर कुछ कहने या करने से पहले सावधान हो जाए|