नक्सली गतिविधि को तौबा कर समाज की मुख्यधारा में लौटने के इच्छुक नक्सलियों के लिए बिहार सरकार ने अपनी समर्पण-पुनर्वास नीति में व्यापक बदलाव किए हैं। उग्रवाद का रास्ता छोड़ मुख्यधारा में आने वाले नक्सलियों को बिहार सरकार पांच लाख रुपये तक की आर्थिक मदद देगी। बुधवार को मंत्रिमंडल ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी।
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल की बैठक में कुल 17 प्रस्ताव स्वीकृत किए गए। प्रदेश के अस्पतालों में संविदा पर नियुक्त डॉक्टरों की सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाकर 65 से 67 किए जाने के प्रस्ताव को भी मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी है।
कैबिनेट के विशेष सचिव यूएन पांडेय ने बताया कि वामपंथी उग्रवादियों- नक्सलियों के समर्पण नीति में बदलाव किए गए हैं। केंद्र में लागू प्रावधानों के मुताबिक बिहार में समर्पण करने वाले नक्सलियों को आर्थिक लाभ दिया जाएगा। पोलित ब्यूरो सदस्य, केंद्रीय समिति, क्षेत्रीय समिति, राज्य समिति के सदस्यों के आत्मसमर्पण करने पर पूर्व में ढ़ाई लाख रुपये एकमुश्त दिए जाने का प्रावधान था। संशोधन के बाद ऐसे उग्रवादियों को एकमुश्त पांच लाख रुपये दिए जाएंगे। स्थानीय स्तर के उग्रवादियों के समर्पण पर पहले डेढ़ लाख रुपये दिए जाते थे जिसे बढ़ाकर ढ़ाई लाख किया गया है। इसके अलावा नक्सलियों-उग्रवादियों के पुनर्वास के दौरान प्रशिक्षण अवधि में प्रत्येक माह दी जाने वाली मदद को चार हजार रुपये प्रति माह से बढ़ाकर छह हजार प्रति माह कर दिया गया है।
मानसून सत्र 20 जुलाई से
राज्य मंत्रिमंडल ने विधानमंडल के मानसून सत्र के कार्यक्रम घोषित कर दिए हैं। विधान मंडल का मानसून सत्र 20 जुलाई से शुरू होगा और 26 जुलाई तक चलेगा। इस सत्र में कुल पांच बैठकें होंगी। पहले दिन शोक प्रकाश के साथ सदन की कार्यवाही स्थगित हो जाएगी। शेष दिनों में विधायी एवं अन्य कार्यों का निष्पादन किया जाएगा।