कांग्रेस महासचिव और यूपी की प्रभारी प्रियंका गांधी वाड्रा चाहकर भी राज्य की सभी जिला और शहर की 129 कमेटियों की घोषणा एक साथ नहीं कर सकीं। पहले राज्य को दो हिस्सों पूर्वी और पश्चिम में बांटा गया था। प्रियंका ने अपने क्षेत्राधिकार में आने वाले जिलों में अध्यक्षों की खोज का काम काफी पहले शुरू कर दिया था। लिहाजा जिन 51 कमेटियों की घोषणा की गई है उसमें लगभग सभी पूर्वी यूपी से संबंधित हैं। ज्योतिरादित्य सिंधिया के खुद को किनारे करने के बाद प्रियंका ने पूरे राज्य की बैठकें शुरू की हैं। शुक्रवार से एक बार फिर प्रियंका बारी-बारी शेष रहे गए जिलों के नेताओं से बातचीत शुरू करने जा रही हैं। शेष 78 कमेटियों की घोषणा दिवाली के बाद होगी।
यूपी की प्रभारी बनाए जाने के बाद प्रियंका का फोकस राज्य के पूर्वी इलाके पर था लेकिन अब पश्चिम से जुड़े तीनों सचिव भी उन्हें रिपोर्ट कर रहे हैं और प्रियंका जिलों के नेताओं से मिल रही हैं। शुक्रवार को कानपुर के नेताओं को बुलाया गया है। जिन जिलों में अध्यक्ष की घोषणा नहीं हुई उसमें कुछ जगहों पर विवाद भी है जिसकी रिपोर्ट सचिवों ने प्रियंका को दी है और अब वे बातचीत कर समाधान करेंगी। नौ जिलों में विधानसभा के उपचुनाव हो रहे हैं इसलिए वहां जानकर कमेटियां के अध्यक्षों की घोषणा नहीं की गई है ताकि चुनाव में व्यवस्था बनी रहे।
प्रियंका चाहती हैं कि यूपी कांग्रेस बड़े क्षत्रपों और संगठन को खुद की जागीर समझकर पद बांटने वालों के चंगुल से निकाले। प्रियंका बारी-बारी उन नेताओं को बातचीत के लिए दिल्ली बुला रही हैं जिनके नामों की संस्तुति दिल्ली से भेजे गए सचिव कर रहे हैं। प्रियंका पार्टी से ऐसे चेहरों को छांट कर जिम्मेदारी सौंप रही हैं जो सक्रिय और लो प्रोफाइल हैं। कार्यकर्ताओं से बातचीत में प्रियंका को इस बात की भी जानकारी मिली कि जिलों बड़े नेताओं के इशारों पर करीबियों को पदाधिकारी बनाकर खानापूर्ति की गई थी।