दिशानिर्देशों के साथ दी जा सकती है इच्छा मृत्यु की इजाजत-सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाली पांच जजों की बेंच ने निष्क्रिय इच्छा मृत्यु (पैसिव यूथेनेसिया) और लिविंग विल (इच्छा मृत्यु की वसीयत) को कुछ शर्तों के साथ अनुमति प्रदान कर दी है। इच्छामृत्यु को अनुमति देने के बाद कोर्ट ने कहा कि मनुष्य को सम्मान के साथ मरने का अधिकार है। अपनी टिप्पणी में कोर्ट ने कहा कि मरणासन्न व्यक्ति को यह अधिकार होगा कि वह कब आखिरी सांस लेगा। लिविंग विल’ एक लिखित दस्तावेज होता है जिसमें कोई मरीज पहले से यह निर्देश दे देता है कि मरणासन्न स्थिति में पहुंचने या रजामंदी ना दे पाने की स्थिति में पहुंचने पर उसे किस तरह का इलाज दिया जाएगा।
इच्छा मृत्यु वह स्थिति होती है जब कोई मरणासन्न शख्स मौत की तरफ बढ़ने की मंशा में उसे इलाज देना बंद कर दिया जाता है। कोर्ट ने यह फैसला एनजीओ कॉमन कॉज की याचिका पर दिया है। एनजीओ ने लिविंग विल और इच्छामृत्यु को कानूनी मान्यता देने के लिए याचिका दाखिल की थी। इस याचिका में कहा गया था कि यदि कोई शख्स मरणासन्न स्थिति में पहुंच जाता है तो उन्हें जीवनरक्षक से हटाने का अधिकार दे दिया जाना चाहिए।